नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

विकीलीक्स [सरकारों की नींद उड़ाती साइट]

ऑस्ट्रेलिया वासी जूलियन एस्सेंज को एक दिन सुझा कि क्यों ना एक ऐसी साइट बनाई जाए जहाँ लोग अपने मन की बात धड़ल्ले से लिख सकें, जहाँ लोग भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन के खिलाफ सबूत पेश कर सकें, जहाँ सरकारों के "कुकर्मो" की पोल खोली जा सके. इस विचार के साथ ही जन्म हुआ विकीलीक्स नामक साइट का जो कि आजकल काफी चर्चा में है.

विकीलीक्स को जनवरी 2007 में लॉंच किया गया है और इसके बाद लगभग 3 साल के भीतर इस साइट ने ना केवल कई देशों की सरकारों की नींद उड़ा दी है बल्कि कई कॉर्पोरेट घरानों और हस्तियों की पोल भी खोली है. विकीलीक्स फिलहाल अमेरिका की अफगान लड़ाई और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की आतंकवादियों के साथ सांठगाठ का पर्दाफाश कर रही है. परंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि विकीलीक्स ने इतने बड़े षड़यंत्र की पोल खोली हो. विकीलीक्स ने पहले भी कई बार ऐसे दस्तावेज लीक किए हैं जो रातोंरात दुनिया भर के समाचारपत्रों के शीर्षक बन गए थे.

विकीलीक्स ने ही अबु गरीब जेल और उसमें अमेरिकी सैन्य अधिकारियों द्वारा कैदियों के ऊपर किए जाने वाले जूल्मों का ब्यौरा प्रकाशित किया था. इससे संबंधित दस्तावेज विकीलीक्स पर छपते ही दुनिया भर में हंगामा मच गया था और इसका असर इतना व्यापक था कि राष्ट्रपति ओबामा को घोषणा करनी पड़ी कि अबु गरीब जेल को बंद कर दिया जाएगा.

इसके अलावा विकीलीक्स ने अमेरिकी जेट पायलटों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों की भी पोल खोली थी और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की प्रत्याशी सारा पालीन के निजी ईमेल भी प्रकाशित कर दिए थे. इससे सारा पालीन की योजनाओं को धक्का लगा था.

और आईएसआई और अमेरिकी सेना के अफगान मिशन से संबंधित भारी भरकम दस्तावेजों के लीक होने के बाद से तो दुनिया भर में ना केवल अमेरिका की किरकिरी हुई है बल्कि पाकिस्तान के लिए भी जवाब देना भारी पड़ रहा है. यह विकीलीक्स का असर है.

विकीलीक्स पर 3 साल के भीतर करीब 12 लाख दस्तावेजों को लीक किया गया है. कहना ना होगा अधिकतर दस्तावेज अमेरिकी सरकार से संबंधित हैं.

तो क्या विकीलीक्स का मुख्य उद्देश्य सरकारों की पोल खोलना ही है?
शुरू में ऐसा नहीं था. जब विकीलीक्स की शुरूआत की गई थी तो उद्देश्य यह था कि इंटरनेट जनता को एक ऐसा हथियार उपलब्ध कराया जाए जहाँ उन्हें सही, सटीक और गुप्त जानकारियाँ मिल सके. इस साइट पर कोई भी व्यक्ति लोगिन करने के बाद गुप्त दस्तावेज रख सकता था.

परंतु समय के साथ इस साइट के नियमों को बदला गया और अब कोई भी दस्तावेज बिना जाँच के प्रकाशित नहीं किए जाते. अब कोई भी दस्तावेज प्रकाशित होने से पहले जाँच की प्रक्रिया से गुजरते हैं. इसके लिए विकिलीक्स कुछ समीक्षकों की सहायता लेता है. इसके अलावा जो व्यक्ति जानकारी लीक कर रहा है उसकी भी जाँच की जाती है. इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि लीक करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य क्या है और वह जानकारी कितनी सही है.

अब विकीलीक्स पर मात्र वही दस्तावेज लीक किए जाते हैं जो राजनीतिक, ऐतिहासिक अथवा सांस्कृतिक महत्व के हों. प्रधानता उन दस्तावेजों को दी जाती है जो एशिया और अफ्रीका महाद्विप के तानाशाही देशों के खिलाफ हो. इस वजह से चीन सहित कई अन्य देशों तथा कुछ बैंकों और कोर्पोरेट घरानों ने इस साइट को बंद कराना भी चाहा था परंतु सफलता नहीं मिली. यह साइट एक जटील ओनलाइन वेब होस्टिंग तकनीक पर आधारित है और इससे यह पता लगाना कठीन हो जाता है कि इस साइट से संबंधित सर्वर कहाँ मौजूद हैं.

विकीलीक्स कभी दिवालिया होने की कगार पर थी और चर्चा थी कि यदि इस साइट को सहारा नहीं मिला तो यह बंद हो जाएगी. वैसे यह सरकारों के लिए तो खुशी की ही बात थी. परंतु ऐसा हुआ नहीं. विकीलीक्स को कहाँ से "सहारा' मिला यह तो ज्ञात नहीं परंतु यह साइट अभी भी कई लोगों के रक्तचाप को बढा रही है.
[साभार तरकश.कॉम,पंकज बेगाणी]

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