नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

बासी खाने का पुण्य

कल खन्ना जी के यहां शानदार पार्टी थी, जिसमें शहर के जाने-माने लोग शामिल हुये. पार्टी में देशी-विदेशी व्यंजनों की भरमार थी जिसका पार्टी में आये हुये मेहमानों ने जमकर आनंद उठाया. पार्टी के दूसरे दिन सुबह नौकर ने आकर मिसेज खन्ना से पूछा 'मैडम कल की पार्टी का बहुत सारा खाना बचा हुआ है, उसका क्या करें'? वहीं पर खन्नाजी भी खड़े थे वह नौकर से बोले 'अरे कल का बासी खाना किस काम का ! अब तक तो पूरी तरह खराब हो चुका होगा, उसे नगर निगम के कूड़ादान में डलवा दो '. तभी मिसेज खन्ना ने टोकते हुये कहा 'रूको मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है, खाना अभी पूरी तरह से खराब नहीं हुआ होगा ऐसा करते हैं, पास में ही एक मंदिर है जहां पर भिखारियों की भारी भीड़ लगती है वहीं पर ले जाकर सारा खाना हमारे नाम से बंटवा देते हैं. इस तरह से खाना भी बर्बाद नहीं होगा और हमारा नाम भी हो जायेगा और एक बात और है भिखारियों को खिलाने से हमें पुण्य भी मिलेगा. है ना कमाल का आइडिया मेरा! यह सुनकर खन्नाजी और नौकर भी मिसेज खन्ना की बुद्धिमत्ता पर चकित रह गये कि मिसेज खन्ना ने कैसे एक तीर से कई निशाने लगा लिये थे! ....(कृष्ण धर शर्मा,2005)

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