नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

इरोम शर्मिला की रक्षा करना

इरोम शर्मिला !
तुम्हारी तपस्या का फल क्या होगा?
तुम्हारा यह सत्याग्रह
कहीं निष्फल तो नहीं हो जायेगा!
यह सोच कर ही
कंपकंपी सी छूट जाती है
क्योंकि जुड़ी हैं तुमसे लाखों ही आशायें
हम सब तुम्हारी तरह तो नहीं हो पा रहे
मगर हमारे लिये तो तुम ही हो
जिसे देखकर हममें कुछ आशायें जागी हैं
डर भी लगता है कि राक्षसों की टोली
जो लगी है तुम्हें विचलित करने में
कहीं भंग ना कर दें तुम्हारी तपस्या
और टूट ना जायें लाखों ही उम्मीदें
जो दशकों बाद जागी हैं हमारे अंदर
हम तो प्रार्थना करतें हैं
कि हे ईश्वर!
इरोम शर्मिला की रक्षा करना
और उनके इरादों को मजबूती देना
ताकि वह लाखों-करोड़ों आशायें
जो इरोम शर्मिला से जुड़ी हुई हैं
कहीं टूट ना जायें
कहीं बिखर ना जायें. (कृष्ण धर शर्मा,2011)

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