नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

अगर हम पंछी होते

अगर हम पंछी होते
तो कितना अच्छा होता
हर तरफ खुशियां होतीं
न दुख हमें कोई होता
आसमान में उड़ते होते
जहां ना कोई ट्रैफिक होता
दिन भर घूमते फिरते रहते
हमें ना कोई टेंशन होता
न होमवर्क का प्रेशर होता
न एग्जाम का झंझट होता
अगर हम पंछी होते
तो कितना अच्छा होता
बस खाते-पीते
और खेलते रहते
काम से हमे ना
कोई मतलब होता
सोचो कितना अच्छा होता
अगर हम पंछी होते
तो कितना अच्छा होता.(कृष्ण धर शर्मा,2010)

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