नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

मुहावरे (ए,ऐ)

एक आँख न भाना : तनिक भी अच्छा न लगना।
भाभी को अपनी देवरानी का यों रानी बने बैठे रहना एक आँख न भाता था।

एक कान सुनना, दूसरे से निकालना : किसी बात पर ध्यान न देना।
विभाग के अध्यापकों ने यह सूचना एक कान से सुनी और दूसरे से निकाल दी।

एक की दो कहना : थोड़ी बात के लिए बहुत अधिक भला-बुरा कहना।
कड़ी बात तक चिन्ता नहीं, कोई एक की दो कह ले।

एकटक देखना : बिना पलक गिराए देखते रहना।
मग्गी उसे मुग्ध होकर, एकटक देखती रहती है।

एक तीर से दो शिकार करना : एक युक्ति या साधन से दो काम करना।
इस बार उसने ऐसी बुद्धिमानी से काम किया कि उसके शत्रु पराजित हो गए और उसके मित्रों तथा संबंधियों को अच्छे-अच्छे पद प्राप्त हो गए।इस प्रकार उसने एक तीर से दो शिकार कर लिए।

एक न चलना : कोई युक्ति सफल न होना।
भगवती ने बहुत तर्क-कुतर्क किया, पर प्रवीण के आगे उसकी एक न चली।

एक न चलने देना : जज ने तो पुलिस का पक्ष करना चाहा था, पर डॉक्टर इर्फान अली ने उसकी एक न चलने दी।

एक मुट्ठी अन्न को तरसना : गरीब होना।
बंगाल के अकाल में लोग एक मुट्ठी अन्न को तरस गए।

एक लाठी से हाँकना : सबके साथ समान व्यवहार करना।
आप सबको एक लाठी से हाँकना चाहते हैं। यह अनुचित है। आपको मित्र-शत्रु, योग्य-अयोग्य तथा बुद्धिमान-मूर्ख का विचार करके व्यवहार करना चाहिए।

एक ही थैली के चट्टे-बट्टे : एक ही प्रकार के लोग।
भगवती ने ज़रा व्यंग्य से कहा, सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।

एहसान उतारना : जिसने उपकार किया हो उसका प्रत्युपकार करना।
अगर हमारे उन पर कुछ एहसान थे भी, तो आज उन्होंने सब उतार दिए।

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