नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 30 जुलाई 2012

पत्नी ने उलाहने भरे स्वर में कहा, 'अगर तुम अक्ल से काम लेते तो हर महीने इतनी बचत कर लेते कि मेरे लिए कम से कम दो साड़ियां अवश्य खरीद लेते।'
पति ने मुस्कुरा के जवाब दिया,'अगर मैं अक्ल से काम लेता तो मुझे साड़ियां खरीदने की कभी नौबत ही नहीं आती।'

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