नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

कितने महान हैं भ्रष्टाचारी

रूपया-पैसा तो खाते ही थे अब तो चारा भी खा जाते हैं कलयुग के भ्रष्टाचारी देखो कोयला भी पचा जाते हैं सड़कें बनती हैं कागजों में घपले होते अब खेलों में भ्रष्टाचारी तो खुले घूमते देखे जाते हैं मेलों में गोलमाल होते हैं अब तो लोगों कि बीमारी में वृद्धि दर होती है अब बस लोगों कि बेरोजगारी में ऐसे नेताओं के कारण भारत में बढती है बेकारी फिर भी जनता चुनती इनको कितने महान हैं भ्रष्टाचारी! (कृष्ण धर शर्मा, २०१३)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें