नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

दस्त



प्रात: का भोजन :-    
1) चावल की माड़ + दही/मठ्ठा के साथ     
शाम का भेाजन :-   
1) मूंग + चावल की खिचड़ी  (जीरा डालकर)    
पथ्य :-  अनार, जीरा + धनिया उड़द के बड़े, पुराना चावल, मसूर की दाल, मूंग की दाल, मोटा अनाज।  अपथ्य :-  बथुआ, आम, सहजन, गर्म मसाले वाले सभी पदार्थ, बासी भोजन, भारी भोजन, खट्टे पदार्थ, दूध      

दस्त नवजात शिशु :-   
1) अनार का रस + 1 चम्मच सुबह  
 2) मूंग + चावल की खिचड़ी  (जीरा डालकर)   
 रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम  :    
पानी के सामान्य नियम :    
) सुबह बिना मंजन/कुल्ला  किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं  
 ) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें    
) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें  
 ) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें।    
 भोजन के सामान्य नियम :    
) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें   
 ) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ    
) सुबह दही फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है   
 ) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में बार से अधिक ना खाएं    
 अन्य आवश्यक नियम :   
 ) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है   
 ) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें     
) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें    
) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें    
) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें

साभार:rajivdixit.net

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें