नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

“वो”

नवविवाहित पति, पत्नी बाज़ार से कुछ सामान खरीदकर हाथ में आइसक्रीम लिए बस स्टैंड आकर खाली पड़ी कुर्सियों में बैठ गए और बातें करने लगे.
उनकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें घर में खुलकर बातें करने को समय न मिल पाता हो.
पत्नी और पति के बाजू में वोभी आकर बस का इन्तजार करते हुए बैठ गया और अनचाहे ही उनकी बातें सुनने लगा.
 पति, पत्नी बातें करने में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने अपने गंतव्य को जाने वाली २ बसें भी छोड़ दी थी.
 पत्नी भी सुन्दर नाक-नक्श और आकर्षक व्यक्तित्व वाली थी और पति भी मगन होकर उसकी बातें सुन रहा था.
 इसी बीच पति को अचानक महसूस हुआ की पीछे से वोउसकी पत्नी को देखने का प्रयास कर रहा है और पत्नी की नजरें भी कई बार पति के पीछे बैठे वोकी तरफ जाती हुई दिखीं.
 अब माहौल प्रेममय न रहकर शंकामय हो चुका था.
 पति सहन न कर पाया और पत्नी और वोके बीच में कुछ इस तरह से बैठने की कोशिश करने लगा जिससे उनकी नजरें आपस में न टकरायें.
 उसकी यह हरकत देखकर पत्नी और वोसहित वहां पर बैठे कई लोगों के चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई जिसे देखकर पति की स्थिति हास्यमय हो चुकी थी.....
कृष्ण धर शर्मा 10.2014

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