नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 17 अगस्त 2015

आबोहवा


 
 
 
ओ रात के मुसाफ़िर!
ग़र मुमकिन हो तो
सुबह के उजालों से पहले
पहुँच जाना अपनी मंजिल तक
क्योंकि इस आबोहवा में
अब अँधेरे ही महफूज हैं
बनिस्बत उजालों के....
                 कृष्ण धर शर्मा २०१५