प्राचीन काल की जानीमानी हस्तियां
- तानसेन: भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक प्रतिपादक थे। वे ग्वालियर से थे, तथा राजा अकबर के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे।
- राजा छत्रसाल: राजा छत्रसाल ने आधी सदी से अधिक समय तक निरंतर संघर्ष किया और अंत में मुगल सत्ता से बुंदेलखंड को मुक्त किया।
- रानी अहिल्या बाई: महेश्वर की महारानी, एक समाज सुधारक और विख्यात प्रशासक, जो सुंदर घाटों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।
- रानी दुर्गावती: मंडला की चंदेल राजकुमारी, जिनका विवाह गोंडवाना के राजा दलपत शाह के साथ हुआ। बुद्धि और दूरदर्शिता के साथ 16 सालों तक गोंडवाना पर शासन किया। सुंदरता, साहस और बहादुरी के लिए उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
- रानी लक्ष्मी बाई: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झांसी की रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ ग्वालियर में महत्वपूर्ण और अंतिम लड़ाई लड़ी थी। ग्वालियर के किले पर लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
- चन्द्र शेखर आजाद: झाबुआ में जन्मे चन्द्र शेखर आजाद, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों का एक प्रतीक थे तथा 1926 और 1931 के बीच हुई हर क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप में शामिल थे।
- तांत्या भील: 1857 की महान क्रांति के बाद, पश्चिम निमर के तांत्या भील, ब्रिटिश राज से आजादी के लिए लड़ाई का प्रतीक बने।
- पंडित रवि शंकर शुक्ला: अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री।
- शंकर दयाल शर्मा: भारत के नौवें राष्ट्रपति, एक विद्वान और शिक्षाशास्त्री।
- विजया राजे सिंधिया: ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की महारानी, जानीमानी राजनीतिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता।
- कुशाभाऊ ठाकरे: सिद्धांतों पर चलनेवाले एक उत्साही सामाजिक सुधारवादी और मध्यप्रदेश के राजनीतिक नेताओं के बीच एक राजनीतिज्ञ हस्ती।
- उस्ताद अलाउद्दीन खान: शास्त्रीय संगीत के कलाकार और हर समय के बेहतरीन कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित । मैहर में बसे एक सरोद वादक और महान गुरु।
- कृष्ण राव पंडित: गायक, ग्वालियर घराने की गायकी के प्रतिनिधि।
- उस्ताद अमीर खान: इंदौर की प्रख्यात खयाल गायकी के गायक।
- भवानी प्रसाद मिश्र: राष्ट्रीय कवि और होशंगाबाद के गांधीवादी दार्शनिक।
- डी. जे. जोशी: इंदौर के महान आधुनिक चित्रकार।
- बाल कृष्ण शर्मा 'नवीन': शाजापुर के स्वतंत्रता सेनानी, अनुभवी संपादक और कवि।
- डॉ. शिव मंगल सिंह सुमन: उज्जैन के प्रख्यात शिक्षाविद्, प्रगतिशील कवि।
- डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर: उज्जैन के प्रसिद्ध पुरातत्वविद्, कला गुरू।
- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी: खंडवा के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, राष्ट्रीय कवि।
- कुमार गंधर्व: देवास के खयाल गायकी के प्रख्यात गायक, शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में नवाचारों के लिए जाने जाते है।
- अब्दुल लतीफ खान: भोपाल के सारंगी वादक।
पर्यटकों की प्रसन्नता : निवेशकों के लिए गर्व
Oh, fine Ujjain! Gem to Avanti given,
Where village ancients tell their tales of mirth And old romance!
Oh,
radiant bit of heaven, Home of a blest celestial band whose worth
Sufficed though fallen from heaven, to bring down heaven on earth!
- Poorva Megha - 32 "Meghdootam"
महाकवि कालिदास ने अपनी श्रेष्ठ रचना 'मेघदूत' में उज्जैन का बहुत ही
सुंदर वर्णन करते हुए कहा है कि जब स्वर्गीय जीवों को अपना पुण्य क्षीण हो
जाने पर पृथ्वी पर आना पड़ा, तब उन्होंने विचार किया कि हम अपने साथ स्वर्ग
का एक खंड ले चलते हैं। उज्जैन वही स्वर्गखंड है। महाकवि ने लिखा है कि
उज्जैन भारत का वह प्रदेश है जहां के गांव में बसे बडे-बुढे लोग खुशी और
प्रेम की गाथा सुनाते है।
इस तरह
मध्य प्रदेश का सौंदर्य सदियों से यात्रियों को आकर्षित करता रहा है।
वर्तमान में मध्य प्रदेश ने न केवल अपने प्राचीन सुंदर रूप को सालों पहले
सा बनाए रखा, बल्कि इस समय के यात्रियों के लिए भी यह एक लुभावना गंतव्य
है। पहाड़, जंगल, नदियां, समृद्ध विरासत, रोमांचक वन्य जीवन और सांस्कृतिक
विविधता से सजी इस राज्य की प्राकृतिक रचना, इसे वैभवशाली भूमि बना देती
है।
विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ी श्रृंखलाओं के साथ मध्य प्रदेश देदीप्यमान है
और पूरी तरह हरे रंग में सराबोर है। नर्मदा, ताप्ती, शिप्रा, बेतवा, चंबल,
सोन और कई अन्य नदियां अपने साथ अपनी किंवदंतियों और इतिहास को साथ लेकर
बहते हुए परिदृश्य को गहरा अर्थ प्रदान करती है। अपनी लहराती नदियों,
पहाड़ों, झीलों और जंगलों के साथ मध्य प्रदेश की विविधतापूर्ण प्राकृतिक
रचना में सम्मोहित करनेवाला सौंदर्य दिखाई देता है।
यहाँ के जंगल भव्य हैं और वन्य जीवन की एक अनूठी और रोमांचक चित्रमाला के
समान है। रेबा जिले में बांधवगढ़, सफेद बाघों की अभूतपूर्व और एकान्त
परिसंपत्ति के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कान्हा, बांधवगढ़, पेंच,
शिवपुरी, पन्ना और कई अन्य राष्ट्रीय उद्यान लोगों को वन्य जीवन को देखने
का दुर्लभ, रोमांचपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं।
राज्य ने वर्ष 2006 में अपने अस्तित्व का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया है,
लेकिन यह पहाड़ियों जितना पुराना है, जो कई सभ्यताओं का गवाह है। गुफाओं से
लेकर वास्तुकला से सजे किलों, महलों, मंदिरों, पायदानों और अन्य असंख्य
स्मारकों के साथ इतिहास ने कई प्रतिष्ठित निशान यहां रख छोडे है।
यह कुछ शानदार स्थान है, जो पर्यटन नक्शे पर मध्य प्रदेश की चमक बनाए रखते है।
- खजुराहो
- मांडू
- चाचाई फॉल्स
- पातालकोट
- भीमबेटका
- पचमढ़ी
- सांची
- भोपाल
- भोजपुर
- ग्वालियर
- चंदेरी
- ओरछा
- इंदौर
- धार
- बाघों की गुफाएं
- ओंकारेश्वर
- महेश्वर
- उज्जैन
- जबलपुर
- अमरकंटक
मध्यप्रदेश की ख़ास बातें
- 308,000 किमी तक फैला मध्यप्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
- प्राकृतिक संसाधनों से भरे-पूरे मध्यप्रदेश में खनिज, ईंधन, जैविक संपदा की कोई कमी नहीं है।
- मध्यप्रदेश की 31 फ़ीसदी ज़मीन ऐसी बेशकीमती और दुर्लभ जड़ी-बूटी संबंधी औषधियां वनपस्तियों से लैस हैं, जिनका अभी तक पूरी तरह से दोहन नहीं हुआ है।
- बड़ी मात्रा में सोयाबीन, अरहर, चना, लहसून की पैदावार।
- भारत में सीमेंट का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य।
- इस राज्य में कोयला बेड मेथेन के 144 बीसीएम से ज़्यादा का रिज़र्व है।
- निवेशकों के लिए उत्तम और शांत माहौल।
- अच्छी व्यावसायिक शिक्षा का केन्द्र।
- कुशल और तकनीकी व्यावसायिक मानव-शक्ति उपलब्ध।
- देश का प्राकृतिक लॉजिस्टिक केन्द्र।
- कृषि जलवायु संबंधी 11 ज़ोन।
- उपयुक्त लोकेशन।
- ज़मीन की कम लागत।
- सैलानियों की पसंदीदा जगह।
- उत्साहजनक औद्योगिक आधार।
- समृद्ध संस्कृति।
मध्यप्रदेश की ताकत
मध्यप्रदेश दूसरा सबसे बड़ा भारतीय राज्य है, जो देश के 9.5 फ़ीसदी हिस्से तक फैला हुआ है। भौगोलिक दृष्टि से यह देश में केन्द्रीय स्थान रखता है। कुदरती संसाधनों से भरपूर इस राज्य में खेती के लिए उपजाऊ ज़मीन और अनुकूल मौसम है।हाल के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आए हैं। औद्योगिक क्षेत्र में निवेश की दिशा और दशा अब सरकार के अलावा खुले बाज़ार तय करने लगे हैं। मध्यप्रदेश में निवेशकों के पास प्रोजेक्ट लोकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंसेंटिव और अन्य सुविधाओं के रूप में बेहतर विकल्प मौजूद हैं। राज्य के औद्योगीकरण के लिए राज्य सरकार ने कारोबार को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों को अपनाया है।
मध्यप्रदेश में उद्योग को प्राकृतिक संसाधनों से बल मिलता है। चूना पत्थर, सोया, सूत, कच्चा लोहा आदि के रूप में इस राज्य को भारी मात्रा में प्रकृति का वरदान मिला है। कपड़ा, सीमेंट, स्टील, सोया प्रोसेसिंग, ऑप्टिकल फाइबर के क्षेत्रों में यहां उद्योगों को मजबूत आधार मिला हुआ है। भेल, नेशनल फर्टिलाइजर लि., सिक्युरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद, करेंसी प्रिटिंग प्रेस, देवास, अल्कालॉयड, ऑर्डनेंस फैक्ट्री, गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर, नेपा मिल्स जैसी कई बड़ी सरकारी कंपनियां इसी राज्य में हैं।
किसी भी राज्य के विकास में कनेक्टीविटी की अहम भूमिका होती है और कनेक्टीविटी इस राज्य की ताकत है। देश के कई बड़े शहरों और बाज़ारों से मध्यप्रदेश जुड़ा हुआ है। प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, शानदार जीवनशैली, मजबूत औद्योगिक आधार, शांति प्रिय जनता और निवेशकों को अपनी ओर खींचती सरकार मध्यप्रदेश की खासियत है।
उपयुक्त स्थान
जंगलों और खनिजों से भरे-पूरे मध्यप्रदेश में कई किस्म के जानवर और बहुत-सी नदियां हैं। यही खास बात पर्यटन के लिए भी इसे एक शानदार जगह बनाती है।- रोजाना 425 ट्रेनें मध्यप्रदेश से होकर चलती हैं, जिनमें से राज्य की राजधानी भोपाल से ही 220 ट्रेनें गुअरती हैं।
- 4885 किमी का नेशनल हाईवे।
- 6 नेशनल हाईवे, साथ में दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई, दिल्ली-बैंगलोर, दिल्ली-हैदराबाद के ट्रक रूट्स भी इस राज्य से होकर गुज़रते हैं।
- 9885 किमी तक फैले स्टेट हाईवे, जो शहर और पर्यटन केन्द्रों को जोड़ते हैं।
- भोपाल और इंदौर से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, रायपुर जैसे प्रमुख शहर हवाई मार्गों के ज़रिए जुड़े हुए हैं।
- भोपाल, इंदौर, खजुराहो और ग्वालियर जैसे शहरों से हवाई मार्ग के ज़रिए जुड़ा है।
- कान्दला पोर्ट, जवाहर नेहरू पोर्ट ट्रस्ट आदि के लिए आसान, सुलभ रास्ते से मध्यप्रदेश जुड़ा हुआ है।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर
- मध्यप्रदेश में 11 अलग-अलग कृषि-जलवायु ज़ोन हैं।
- भारी मात्रा में कच्चा लोहा, हीरे, कच्चा तांबा, कच्चा मैग्नेशियम, चूना पत्थर, कोयला, संगमरमर, ग्रेनाइट जैसे खनिज।
- भारत की वन-भूमि का 12.4% हिस्सा मध्यप्रदेश में है।
- कोयला, कोल-बेड मेथेन जैसे दुर्लभ ईंधन भी यहां उपलब्ध हैं।
- भारत के कोल-रिजर्व का 7.7% हिस्सा मध्यप्रदेश में है।
- सीधी जिले में कोयले की घनी परत है, जो एशिया में सबसे घनी है।
- भारत में हीरे की इकलौती सक्रिय खदान मध्यप्रदेश में है।
- 144 बीसीएम के कोल-बेड मेथेन के भंडार खोजे जा चुके हैं।
- यहां ऊर्जा, सीमेंट, लोहे और स्टील यूनिटों के खदानों के ब्लॉक मौजूद होने की भी उम्मीदें नजर आई हैं।
- निर्माण के लिए ज़रूरी चूना पत्थर के बड़े भंडार।
- लोहे और स्टील के अहम घटक मैंगनीज़, डोलोमाइट यहां मिलते हैं।
- संगमरमर, ग्रेनाइट, फ्लैग्स्टोन जैसे बेशकीमती पत्थरों की यहां कई किस्में उपलब्ध हैं।
खेती के लिए खास है मध्यप्रदेश
- भारत में तिलहन और दालों का सबसे बड़ा उत्पादक केंद्र मध्यप्रदेश है।
- देश में दालों की कुल पैदावार का 25.3 फ़ीसदी, चने का 36 फ़ीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश से आता है।
- गेहूं, आलू की कई उम्दा किस्में।
- लहसून, हरा धनिया का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश है।
- निवेश के लिए 50 से 3000 एकड़ ज़मीन उपलब्ध।
- निवेशकों के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने नॉन फॉरेस्ट वेस्ट लैंड के आवंटन की नीति तैयार की है।
- यहां कॉण्ट्रेक्ट फार्मिंग की इजाज़त है। APMC एक्ट में बदलाव लाए गए हैं।
प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य
भारत की वन-भूमि का 12.4% हिस्सा मध्यप्रदेश में है। यह जैविक विविधताओं से भरा-पूरा राज्य है। राज्य का क्षेत्रफल 308,252 किमी है, जो कि देश की ज़मीन का 9.38 हिस्सा है। राज्य की वन-भूमि का क्षेत्रफल 95221 किमी है, जो कि राज्य के क्षेत्रफल का 31 फ़ीसदी है।- राज्य का 31 फ़ीसदी भाग जंगलों से ढंका है।
- 25 ग्लोबल एग्रो-क्लाइमेटिक जोन में से 11 मध्यप्रदेश में।
- भारी मात्रा में दुर्लभ, बेशकीमती औषधीय-हर्बल वनपस्तियां।
खास शहर, खास बातें
- इंदौर : फार्मास्यूटिकल, टेक्स्टाइल, फूड प्रोसेसिंग, आईटी, ऑटो कम्पोनेंट
- भोपाल : इंजीनियरिंग, टेक्स्टाइल, बायोटेक, हर्बल, फूड प्रोसेसिंग, आईटी
- जबलपुर : कपड़ा, खनिज, पत्थर, जंगल, हर्बल, फूड प्रोसेसिंग
- ग्वालियर : इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, एफएमसीजी, पत्थर, फूड प्रोसेसिंग, इंजीनियरिंग
- रीवा : खनिज, सीमेंट, जंगल
- सागर : मिनरल प्रोसेसिंग, पत्थर
हवाई रेल सड़क
परिचय
भारत के परिक्षेत्र में मध्यप्रदेश का आमतौर पर संक्षिप्त रूप म. प्र. है। भारत के मध्य क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसका नाम "मध्यप्रदेश" है। वर्ष 2000 तक, "मध्यप्रदेश" क्षेत्र के लिहाज में भारत का सबसे बड़ा राज्य था, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद यह क्षेत्र के लिहाज में दूसरा सबसे बड़ा राज्य और जनसंख्या के लिहाज में सबसे बड़ा, छठा राज्य बन गया है। ब्रिटिश समय के दौरान यह भारत के 'केन्द्रीय प्रांत' के रूप में जाना जाता था। यह भारत के ऐसे कुछ राज्यों में शामिल है, जिसकी सीमाएं भारत के अन्य राज्य के साथ जुडती है, किंतु अन्य देशों तथा किसी भी तटीय रेखा के साथ नही जुडती। इसकी पूर्वोत्तर सीमा उत्तर प्रदेश को, उत्तर-पश्चिम सीमा राजस्थान को , पश्चिमी सीमा गुजरात को, दक्षिण-पश्चिम सीमा महाराष्ट्र राज्य और दक्षिण-पूर्व सीमा छत्तीसगढ़ को छू लेती है। इन आसपास के राज्यों से सड़क मार्ग से आप मध्यप्रदेश की यात्रा कर सकते हैं।हवाई मार्ग
मध्यप्रदेश में काफी हवाई अड्डें स्थित हैं। ग्वालियर, खजुराहो, इंदौर, जबलपुर और भोपाल में राज्य के प्रमुख हवाई अड्डें हैं। प्रमुख सार्वजनिक और निजी एयरलाइंस, इन हवाई अड्डों के लिए नियमित रूप से उड़ानें संचालित करती है। मध्यप्रदेश जानेवाली सस्ती और आरामदायक उड़ानें, मध्यप्रदेश की यात्रा के लिए सबसे सुविधाजनक तरीका है।
मध्यप्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण स्थानों तक हवाई मार्ग से पहुंचना सुलभ हैं |
- • भोपाल के लिए हवाई मार्ग : सभी प्रमुख शहरों के साथ राज्य अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- • ग्वालियर के लिए हवाई मार्ग: यह सभी प्रमुख शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- • खजुराहो के लिए हवाई मार्ग: यह दिल्ली के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- • सांची के लिए हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा भोपाल - 46 किलोमीटर।
- • ओरछा के लिए हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर -120 किलोमीटर।
- • इंदौर के लिए हवाई मार्ग: इंदौर सभी प्रमुख शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- • उज्जैन के लिए हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर -53 किलोमीटर।
- •कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के लिए हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा नागपुर - 266 किलोमीटर।
- • बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के लिए हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो - 230 किलोमीटर।
रेल मार्ग
सड़क मार्ग
मध्यप्रदेश राज्य की सीमा गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र इन ५ राज्यों को छू लेती है। यह सभी राज्य मध्यप्रदेश के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-7, राष्ट्रीय राजमार्ग-12A, राष्ट्रीय राजमार्ग-25, राष्ट्रीय राजमार्ग-26, राष्ट्रीय राजमार्ग-27, राष्ट्रीय राजमार्ग-69, राष्ट्रीय राजमार्ग-3, राष्ट्रीय राजमार्ग-92, राष्ट्रीय राजमार्ग-12 जैसे कुछ प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग इस राज्य से गुजरते है। आगरा, जयपुर, वाराणसी, ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान, रणथंभौर, रायपुर, विशाखापट्टणम्, अजंता, एलोरा, अहमदाबाद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, माउंट आबू, चंबल अभयारण्य, लखनऊ आदि मध्यप्रदेश के करीबी प्रमुख पर्यटन स्थल सड़क मार्ग से जुड़े हुए है।
सदियों पुरानी कला और संस्कृति
मध्यप्रदेश की भूमि, संस्कृति और कला गुणों से सराबोर है। यहाँ की राजसी
परंपराओं ने लंबे समय तक कला, संगीत, साहित्य, वास्तुकला, दर्शन, चित्रों
और ऐसे कई क्षेत्रों में उत्कर्ष किया है। शानदार मंदिर, भव्य महल,
कालिदास, भर्तृहरी, बिहारी जैसे महान कवि, तानसेन, बैजू बावरा जैसी संगीत
क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां, विक्रमादित्य, राजा भोज, रानी दुर्गावती और
अहिल्या बाई जैसे राजनीतिज्ञ और ऐसे कई महानुभाव, मध्यप्रदेश का गौरव रहे
हैं।
मध्यप्रदेश ने हमेशा अपनी समृद्ध विरासत को संजोह कर रखा है। संगीत और
नृत्य की शास्त्रीय परंपरा, प्रथागत रूप से यहाँ मौजूद है। राज्य ने दुर्लभ
कला के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दिया है। नाटककार सत्यदेव दुबे और हबीब
तनवीर, डागर, असगरी बाई, अमजद अली खाँ जैसे विलक्षण संगीत विशेषज्ञों से,
इस राज्य की पहचान बनी है।
मध्यप्रदेश, देश में अपने मध्यवर्ती स्थान के साथ अपनी सांस्कृतिक समृद्धि
के लिए भी भारत के दिल के रूप में जाना जाता है। यहां के चप्पे-चप्पे में,
संगीत की विभिन्न और समृद्ध परंपराओं को विकसित किया गया है। ग्वालियर को
भारतीय संगीत के महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक माना जाता है।
मध्यप्रदेश तानसेन की संगीत भक्ति का स्थान है और ‘ध्रुपद' का भी जन्म
स्थान है। ‘ख्याल' भी यही परिष्कृत हुआ। सबसे पुराना माधव संगीत स्कूल यहाँ
स्थित है, जो सन 1918 में पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के मार्गदर्शन में
शुरू हुआ था। रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानियों में लथपथ मालवा ने
संगीत के चाहने वालों को सदा प्रेरित किया है। पंडित रविशंकर और उस्ताद अली
अकबर खाँ उनके चेलों में शामिल हैं। मृदंगाचार्य नाना साहेब पानसे से लेकर
डागर भाइयों जैसे कई महान संगीतकार इस भूमि से है। उस्ताद आमीर खाँ और
कुमार गंधर्व भी इसी भूमि के सुपुत्र हैं। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ ने भारतीय
संगीत को जो भी दिया है, वह अपने आप में इतिहास है।
अन्य कलाओं की तरह चित्रकला भी मध्यप्रदेश के जीवन का एक हिस्सा रहा है।
यहां ड्राइंग और पेंटिंग की एक पुरानी परंपरा है। डी. जे. जोशी, सैयद हैदर
रजा, नारायण श्रीधर बेंद्रे, विष्णु भटनागर, मकबूल फिदा हुसैन, अमृत लाल
वेगड और कल्याण प्रसाद शर्मा जैसे महान चित्रकार, मध्यप्रदेश की चित्रकला
के कैनवास पर योगदान दे रहे हैं।
रचारक संस्थान
मध्यप्रदेश में संस्कृति और कला से संबंधित गतिविधियों के विकास, संरक्षण और अनुसंधान के लिए कई संगठन और संस्थाएं बनाई गई हैं।
चार्ल्स कोर्रा इस इमारत के वास्तुकार है। भारत भवन के कक्षों में रूपांकर, वगर्थ, रंग मंडल, अनहद, आश्रम और निराला सृजन पीठ शामिल है।
कला परिषद
सन 1952 में इसकी स्थापना हुई। यह संगठन संगीत, नृत्य, नाटक और ललित कला के लिए एक अकादमी के रूप में काम कर रहा है।साहित्य परिषद
1954 में स्थापित साहित्य परिषद, राज्य में हिन्दी साहित्य के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए रचनात्मक आलोचनात्मक साहित्य वार्ता और सम्मेलनों का आयोजन करती है।उर्दू अकादमी
यह अकादमी सन 1976 से उर्दू साहित्य के संरक्षण और प्रोत्साहन हेतु गरीब उर्दू कवि और साहित्यिक समाजों को वित्तीय सहायता दे रही है। उर्दू किताबों के प्रकाशन और उर्दू पुस्तकों के पुस्तकालयों के लिए भी अकादमी वित्तीय मदद की व्यवस्था करती है।भारत भवन
13 फरवरी, 1982 को भोपाल में स्थापित भारत भवन, साहित्यिक और मंच कलाकारों के बीच आपसी निकटता मजबूत करनेवाला एक बहुआयामी कला केंद्र है। शहरों, गांवों और जंगलों में पनपती, स्थायी महत्व की सबसे अच्छी कृतियों को आश्रय देना, भारत भवन का उद्देश्य है। भोपाल में ‘अपर लेक' के तट पर झुकी हुई चट्टानों पर भारत भवन स्थित है। इसकी वास्तुकला और रचना भी देखने लायक है।चार्ल्स कोर्रा इस इमारत के वास्तुकार है। भारत भवन के कक्षों में रूपांकर, वगर्थ, रंग मंडल, अनहद, आश्रम और निराला सृजन पीठ शामिल है।
कालिदास अकादमी
नृत्य और संगीत, कला प्रदर्शनियां, पारंपरिक नाटक, लोककला, लोकसंगीत और लोकनृत्य के प्रदर्शन से जुडे व्याख्यान, अनुसंधान, वार्ता तथा प्रशिक्षण आयोजित करना, इस अकादमी का उद्देश्य है। सन 1977 में इसकी स्थापना हुई। यह प्रकाशन और अनुसंधान का काम भी करती है।उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत अकादमी
यह अकादमी अलाउद्दीन खाँ व्याख्यान श्रृंखला, दुर्लभ वाद्य विनोद, चक्रधर महोत्सव, कथ्थक प्रसंग, मैहर में अलाउद्दीन खान मेमोरियल संगीत समारोह और इंदौर में आमिर खाँ महोत्सव आदि कार्यक्रमों का आयोजन करती है।लोक कला परिषद
जनजातीय कला और सांस्कृतिक परंपराओं का सर्वेक्षण और दस्तावेज़ों का रखरखाव, इस कला परिषद का काम और उद्देश्य है।राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार
मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग ने कला के विभिन्न रूपों के सम्मान
हेतु कुछ राष्ट्रीय और राज्य स्तर के वार्षिक पुरस्कार स्थापित कर कला और
साहित्य के क्षेत्र में नए राष्ट्रीय मानक बनाए हैं।
हर वर्ष संगीत, नृत्य, नाटक और लोक कला के क्षेत्र से, एक कला को पुरस्कार के लिए चुना जाता है। दृश्य कला के लिए शिखर सम्मान आदिवासी और गैर आदिवासी, इन दोनों रूपों के लिए दिया जाता है। आम तौर पर, 3 वर्ष की अवधि में एक वर्ष, रूपांकर कला को चुना जाता है।
साहित्य के क्षेत्र में केवल हिन्दी के लिए ही शिखर सम्मान दिया जाता है। प्रत्येक शिखर सम्मान की पुरस्कार राशि रु. 31,000/- है।
टसर
माहेश्वरी
कबीर पुरस्कार
भारतीय काव्य के क्षेत्र में काव्य प्रतिभा का सम्मान करने के लिए वर्ष 1986-87 में यह पुरस्कार स्थापित किया गया। किसी भी भारतीय भाषा के कवि को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है। इस पुरस्कार की राशि रू.1,50,000/- है। अब तक कन्नड़, बांगला, पंजाबी, हिन्दी, मराठी और गुजराती भाषा के कवियों को यह सम्मान प्रदान किया गया है।तानसेन पुरस्कार
वर्ष 1980 में तानसेन पुरस्कार स्थापित हुआ, जिसकी पुरस्कार राशि रू.1,00,000/- है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के लिए हर वर्ष ग्वालियर में, तानसेन समारोह के दौरान यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।कालिदास पुरस्कार
वर्ष 1980-81 में यह पुरस्कार स्थापित हुआ। शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, नाटक और दृश्य कला के क्षेत्र के लिए निर्धारित इस पुरस्कार स्वरूप रु. 1,00,000/- की राशी और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।तुलसी पुरस्कार
आदिवासी/लोक कला और पारंपरिक कला के सम्मान हेतु वर्ष 1983-84 में तुलसी पुरस्कार स्थापित किया गया। यह पुरस्कार नाटक के लिए दो बार और दृश्य कला के लिए एक बार, इस प्रकार 3 वर्ष की अवधि में बारी-बारी से दिया जाता है। प्राप्तकर्ता को पुरस्कार स्वरूप, रु. 1,00,000/- और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।लता मंगेशकर पुरस्कार
सुगम संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्टता के सम्मान के लिए वर्ष 1984-85 से लता मंगेशकर पुरस्कार शुरू कर दिया गया। किसी भी भाषा के गायक, वादक और संगीतकार को बारी बारी यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत, प्राप्तकर्ता को रु. 1,00,000/- और प्रशंसा का प्रमाणपत्र दिया जाता है। आम तौर पर यह वार्षिक पुरस्कार 4 दिसंबर के दिन या इसके आस-पास, लता मंगेशकर के जन्मदिन पर इंदौर में प्रदान किया जाता है।इकबाल सम्मान
उर्दू साहित्य में रचनात्मक लेखन के सम्मान के लिए वर्ष 1986-87 में यह सम्मान स्थापित किया गया। पुरस्कार स्वरूप प्राप्तकर्ता को रु. 1,00,000/- और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।कुमार गंधर्व पुरस्कार
संगीत के क्षेत्र में युवाओं के बीच रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992-93 में कुमार गंधर्व पुरस्कार स्थापित किया गया। शास्त्रीय, मुखर और वाद्य संगीत के क्षेत्र में, 25 से 45 वर्ष के बीच की उम्र के युवा कलाकारों को यह सम्मान दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत, प्राप्तकर्ता को रु. 51,000/- और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार
हिंदी कविता की रचनात्मक संरचना के क्षेत्र में उत्कृष्टता को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1987-88 में रु. 1,00,000/- रुपयों की राशी का यह पुरस्कार स्थापित किया गया।शरद जोशी सम्मान
साहित्य के अलावा लेखन के अन्य रुझानों से संबंधित लोगों को सम्मानित करने के लिए शरद जोशी पुरस्कार स्थापित किया गया। निबंध, संस्मरण, कोष, डायरी, पत्र और व्यंग्य लेखन के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत, प्राप्तकर्ता को रु. 51,000/- और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।शिखर सम्मान
साहित्य, संगीत, रंगमंच और दृश्य कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट रचनात्मकता के लिए वर्ष 1980-81 में यह सम्मान स्थापित किया गया।हर वर्ष संगीत, नृत्य, नाटक और लोक कला के क्षेत्र से, एक कला को पुरस्कार के लिए चुना जाता है। दृश्य कला के लिए शिखर सम्मान आदिवासी और गैर आदिवासी, इन दोनों रूपों के लिए दिया जाता है। आम तौर पर, 3 वर्ष की अवधि में एक वर्ष, रूपांकर कला को चुना जाता है।
साहित्य के क्षेत्र में केवल हिन्दी के लिए ही शिखर सम्मान दिया जाता है। प्रत्येक शिखर सम्मान की पुरस्कार राशि रु. 31,000/- है।
किशोर कुमार पुरस्कार
यह पुरस्कार वर्ष 1998 में स्थापित किया गया। हर वर्ष फिल्म निर्देशन, अभिनय, पटकथा लेखन और गीत लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए यह पुरस्कार प्रस्तुत किया जाता है। प्राप्तकर्ताओं को पुरस्कार (रु.1 लाख की राशि) प्रदान करने के लिए किशोर कुमार के जन्म स्थान, मध्यप्रदेश के खंडवा में, एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।देवी अहिल्या बाई पुरस्कार
वर्ष 1997 में स्थापित देवी अहिल्या बाई पुरस्कार, आदिवासी लोक कला और पारंपरिक कला में उत्कृष्टता के लिए केवल महिला कलाकारों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत, प्राप्तकर्ता को रु. 1,00,000/- और प्रशंसा का प्रमाणपत्र दिया जाता है।महात्मा गांधी पुरस्कार
गांधीवादी दर्शन के आधार पर सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में कार्यरत संगठनों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इसके प्राप्तकर्ता को रुपये 5 लाख और प्रशंसा का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाता है।हस्तशिल्प
टेराकोटा
एक साधारण पहिया और जादुई हाथ मिलकर निराकार मिट्टी को शानदार रूपों में
ढाल देते है। टेराकोटा, जीवन की प्रतिरूप लगती, एक वास्तव और आकर्षक कला
है, जिसमें विशाल हाथी, नाग, पंछी, घोड़े, देवताओं की पारंपरिक मूर्तियां
और ऐसे कई आकार बनाए जाते है। कला की विविधता, प्रसार और महारत के कारण
मध्यप्रदेश की टेराकोटा मिट्टी ने अपनी अनोखी पहचान बना ली है। यह कला समाज
को, पुजा से जुडे कर्मकांडों के लिए उपयुक्त वस्तुओं के साथ अन्य उपयोगी
वस्तुएं भी प्रदान करती हैं।
चित्र
चमकीले रंग, देहाती रचना और भावपूर्ण पेशकश के साथ मध्यप्रदेश के
लोक-चित्र अपने सरल, धार्मिक लोगों के जीवन को दर्शाते है। इन लोक-चित्रों
के द्वारा पूजा और उत्सव के भाव, दोहरी फिर भी प्रेरणादायी अभिव्यक्ति पाते
है। बुंदेलखंड, गोंडवाना, निमर और मालवा के आकर्षक दीवार-चित्रों के
माध्यम से इन चित्रों का करिष्मा फैला है। इन चित्रों में दैनिक जीवन की
छवियाँ, गहरे विवरण के साथ अभिव्यक्त होती हैं।
कांच का काम
मध्यप्रदेश का कांच का काम अपने बेहतरीन राजसी रूप में उभर कर आता है।
प्रकाशमान, चमकीली, देदीप्यमान, चमकदार और शानदार कांच का काम, बेहद
खूबसूरत प्रतीत होता है। मध्यप्रदेश के कारीगरों के कुशल हाथों से बने
मुस्कुराते कटोरे, चमचमाती कांच, जगमगाती प्लेटें और सजावटी क्रिस्टल, मानो
किसी जीवीत कविता के समान मन को लुभाते है।
लकड़ी के शिल्प
मध्यप्रदेश के लकड़ी के शिल्पों द्वारा परिष्करण और जटिलता के सुघड
चमत्कार सामने आते है। मध्यप्रदेश और आदिवासी क्षेत्रों के पारंपरिक लकड़ी
शिल्प में छोटे जानवरों और मानव की मूर्तियों से लेकर फर्नीचर जैसी बड़ी,
नक़्क़ाशीदार वस्तुओं तक, सब कुछ शामिल है। मछली, मुर्गा, तीर-कमान लिए
योद्धा, मोर, घुड़सवार, हाथी, लकड़ी मे खुदे शेर के सिर जैसी प्रकृति और
वास्तविक जीवन की छवियों के नक्काशीदार शिल्प, इस कला की सुंदरता और
विशेषज्ञता की कहानी सुनाते है। स्थानीय रूप से उपलब्ध शीशम, सागौन, दुधी,
साल, केदार और बांस की लकड़ी से विभिन्न आकार की उपयोगी और सजावटी कृतियां
आकार लेती है।
राज्य के आदिवासी
क्षेत्र में लकड़ी के शिल्प बनाने की प्राचीन और समृद्ध परंपरा है। अपने
घर, दरवाजे की कलात्मक चौखटें, दरवाजे, चौकीयां और संगीत वाद्ययंत्र के
निर्माण के लिए मंडला क्षेत्र के गोंड और बैगा लकड़ी का उपयोग करते है।
बैगा अब भी लकड़ी के मुखौटे का उपयोग करते है। गोंड और कोरकू के परंपरागत
लकड़ी के दरवाजे और स्मृति राहतें तथा बरीहया जनजाति में शादी के खम्भें
आकर्षक होते हैं। धार, झाबुआ और निमाड़ के भील-बहुल क्षेत्र में, "गाथा"
अर्थात स्मृति स्तंभों के शिल्प बनाने की प्रथा है। पीसाई के पत्थरों के
पात्र और अनाज को मापने की चौकियां लकड़ी से बनती हैं और उन पर खूबसूरती से
खुदाई की जाती हैं। दरवाजों पर पशुओं, पक्षियों तथा विभिन्न पैटर्न की
खूबसूरती से खुदी आकृतियाँ होती है, जबकि चाकू और कंघी पर बारीक नक्काशी
दिखाई देती है। अलीराजपुर और झाबुआ, इन दो मुख्य केंद्रों में आदिवासी भील
के लकड़ी के शिल्प देखने को मिलते हैं।
टोकरी और बांस
आसानी से उपलब्ध बांस की वजह से मध्यप्रदेश में टोकरी और चटाई की बुनाई,
एक प्रमुख कला है। बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल के स्थानीय हाट
(बाजार) में कई किस्म की टोकरीयां और बुनी हुई चटाईयां दिखाई देती है।
बैतूल जिले में तूरी समुदाय के लोग 50 अलग अलग प्रकार की टोकरीयां बनाते
है, जिनका उपयोग विभिन्न दैनिक जरूरतों और उत्सव के मौकों के दौरान औपचारिक
प्रस्तुतियों के लिए किया जाता है। अलीराजपुर में बांस की खूबसूरती से बनी
टोकरियाँ और खिड़कियां पाई जाती हैं। कुर्सी, मेज, लैंप और कई अन्य
फर्नीचर के सामान बनाने के लिए बांस और बेंत का इस्तेमाल किया जाता है।
बांस की बनी कई चीजें कला के संग्रह में शामिल होती है।
धातु शिल्प
मध्यप्रदेश में कई किस्म के धातु शिल्प बनाए जाते है। राज्य के कुशल
कारीगरों नें धातु के अद्वितीय शिल्प बनाए है। शुरू मे धातु का प्रयोग
बर्तन और आभूषण तक ही सीमित था, लेकिन बाद में कारीगरों ने अपने काम में
बदलाव लाते हुए विविध स्थानीय श्रद्धेय देवता, मानव की मूर्तियां,
पशु-पक्षियों और अन्य सजावटी वस्तुओं को भी शामिल कर लिया।
अयोध्या को अपना मूल शहर बताने वाले टीकमगढ़ के स्वर्णकार, धातु की तार के
उपयोग के विशेषज्ञ माने जाते है, जो हुक्का, गुडगुडा, खिचडी का बेला और
पुलिया जैसे पारंपरिक बर्तन बनाने में कुशल होते है। वे पीतल, ब्रॉंझ, सफेद
धातु और चांदी के लोक-गहने बनाते है और उन्हें चुन्नी, बेलचुडा, मटरमाला,
बिछाऊ, करधोना, गजरा और ऐसे अन्य अलंकरणों के साथ सुशोभित करते है। सजावटी
वस्तुओं में स्थानीय देवताओं की मूर्तीयों समेत हाथी, घोड़े, ठाकुरजी के
सिंहासन, बैल, आभूषण के बक्सें, दरवाज़े के हैंडल, अखरोट कटर आदि शामिल
हैं। टीकमगढ़ रथों और पहियों वाले पीतल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है।
लौह शिल्प
लोहार कला की कहानी लगभग इस भूमि जितनी ही पुरानी है। कच्चे लोहे को भट्ठी
में गर्म किया जाता है और फिर बार-बार ठोक कर उससे सजावट और उपयोगिता की
वस्तुएं बनाई जाती है। मध्यप्रदेश के आदिवासी (लोहार) लोहे को शिल्प में
ढाल देते है। लोहे के सजावटी दीये (दीपक), करामाती छोटे पंछी तथा जानवरों
की पारंपरिक और समकालीन, दोनों तरह के शिल्प की दस्तकारी देखनेवालों को
मोहित कर देती है। लोहारों के कुशल हाथों में लोहा सांकल (चेन), चिटकनी
(लैच), छुरी (चाकू), कुल्हाड़ी और नाजुक गहनों के रूप लेता है। बदलते समय
के साथ, आधुनिक समय के स्वाद के अनुरूप, इस कला में बदलाव आ रहे है।
शिवपुरी जिले में करेरा, लोहे के कलात्मक और सुघड काम के लिए मशहूर है।
साँचे में ढली काग़ज़ की लुग्दी की चिजें
मध्यप्रदेश के भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर और रतलाम क्षेत्रों से, विशेष रूप
से नागवंशी समुदाय के कलाकारों को साँचे में ढली काग़ज़ की लुग्दी से
देवताओं की मूर्तियां, पक्षियों की प्रतिकृतियां, पारंपरिक टोकरियाँ और
अन्य सजावटी वस्तुएं बनाने की कला में महारत हासिल है।
पत्थर का काम
मध्यप्रदेश के आदिवासी कलाकारों के लिए पत्थर पर नक्काशी करना, आध्यात्मिक
खोज की एक अभिव्यक्ति रही है। जाली तथा देवी देवताओं की, पक्षियों और
जानवरों की मूर्तियों के साथ अलंकृत यह शिल्प, स्वर्गीय दृश्य का अनुभव
देती है।
स्थानीय रूप से उपलब्ध रेत
पत्थर पर नक्काशी (जाली का काम) के लिए ग्वालियर प्रसिद्ध है। टीकमगढ़ के
निकट ‘कारी' बहुरंगी संगमरमर के बर्तन बनाने के लिए प्रसिद्ध है। रतलाम में
राजस्थान से विस्थापित शिल्पकार सफेद संगमरमर में धार्मिक मूर्तियां बनाते
है। जबलपुर के भेडाघाट की दुकानें संगमरमर की मूर्तियों से सजी हुई है।
प्रमुख खरीदारी केन्द्र
मृगनयनी - सरकार द्वारा प्रायोजित एम्पोरियम की एक श्रृंखला तथा
मध्यप्रदेश के ‘हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड' की एक इकाई है,
जो मध्यप्रदेश के कुशल कारीगरों की कला-कृतियों का प्रदर्शन करती है। राज्य
के प्रमुख शहरों में, मेट्रो शहरों तथा भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में
मृगनयनी के शोरूम द्वारा हस्तकला की वस्तुएं, धातु, टेराकोटा और मिट्टी के
बर्तन, पेंटिंग, आभूषण और वस्त्र आदि की कई किस्में प्रदर्शित की जाती है
और बेची जाती है।
आप इंदौर में शंकर
गंज से चमड़े के खिलौने, उज्जैन की स्थानीय दुकानों से कागज की लुगदी से
बने कई तरह के पंछी, बैतूल और उज्जैन से बांस के उत्पाद, सीहोर जिले के
बुधनी से लाख के खिलौने, इंदौर के देपालपूर से लाख की चूड़ियाँ, शिवपुरी
में करेरा से लोहे की कलात्मक वस्तुएं, खजुराहो के स्थानीय दुकानों से
आदिवासीयों द्वारा बनाई गई चीजें, टीकमगढ़ से आदिवासी आभूषण, जबलपुर से
संगमरमर की कलाकृतियां, ग्वालियर से हस्तनिर्मित जूते, इंदौर से टाई एन्ड
डाई प्रिंट और बाटिक, ग्वालियर से खादी ग्राम उद्योग द्वारा हस्तनिर्मित
कागज, धार, इंदौर, उज्जैन और देवास से टेराकोटा शिल्प, भोपाल के ओल्ड सीटी
क्षेत्र, अपमार्केट एम्पोरीया और न्यू मार्केट की दुकानों से चांदी के
गहने, मोती-काम, कढ़ाई की हुई मखमली फैशनेबल पर्स जैसी पारंपरिक भोपाली
कलात्मक वस्तुएं खरीद सकते है। हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम द्वारा
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, पचमढ़ी और ग्वालियर में ‘शिल्प बाजार' का आयोजन भी
किया जाता है।
टेक्सटाइल
मध्यप्रदेश के लोगों में रचनात्मक दृष्टि और कलात्मक कौशल को लेकर हमेशा
से जुनून रहा है। कारीगरों की अद्भुत रचनाएं और कला के विविध रूप,
मध्यप्रदेश में कई सदियों से अपना स्थान बनाए हुए है। लोहे का धातु, लकड़ी
की उपलब्धता, पीतल की चमक, चमड़े की सरगर्मी, कागज की लुगदी जैसी सारी
चीजें कारीगरों के हाथों में पिघल जाती हैं और आकर्षक रचना के साथ एक
खुबसूरत रूप ले लेती है।
चंदेरी,
टसर, महेश्वर जैसी हाथ की बुनी साड़िया, टाई एन्ड डाई, बाटीक, आभूषण, धातु
और चमड़े की कलात्मक चीजें, टेराकोटा, कांच और स्टोनवर्क जैसी चीजें
कलात्मकता की एक सुंदर दुनिया बनाती है।
आलंकारिक आकृतियों के साथ हैन्ड ब्लॉक प्रिंटेड कपड़ा, मध्यप्रदेश की
विशेषता रहा है। साड़ी, ओढनी, टेबल क्लॉथ, बेड कवर और अन्य कपडों पर इन
छापों का मुद्रण किया जाता है। पारंपरिक प्रिंट मे तानवाला और तीन आयामी
प्रभाव दिखाई देता है। बाग नदी के उच्च प्रति के तांबे से व्युत्पन्न
समृद्धि और चमक, वनस्पतीजन्य और प्राकृतिक रंग प्रदान करती है। हल्दी से
पीला रंग, अनार के छिलके से गुलाबी रंग और नील से नीला रंग मिल जाता है।
रंग पूरी तरह से कपड़े में समा जाए, इसलिए राल, मोम और तेल का प्रयोग किया
जाता है। मुद्रण ब्लॉक (छापे) सागौन की लकडी से बनते है, जिन पर पारंपरिक
लकड़ी नक़्क़ाश जटिल डिजाइन बनाते हैं। राज्य के पश्चिमी भाग के साथ, मालवा
और निमर क्षेत्र में ब्लॉक मुद्रण किया जाता है और अब बाघ क्षेत्र में भी
पारंपरिक तथा चंदेरी और माहेश्वरी साड़ीयों पर मुद्रित ब्लॉक का अभिनव
प्रयोग होने लगा है। भैरवगढ और इंदौर के ब्लॉक प्रिंट में अद्वितीय बाटीक
काम दिखाई देता है। बाटीक की प्रक्रिया में मुलायम सूती कपड़े पर गर्म
पिघला मोम डाला जाता है। कपड़े को विभिन्न ठंडे रंगों में डूबोया जाता है
और कपड़े पर गर्म उबलता पानी डाला जाता है। परिणाम स्वरूप कपडे पर एक
आकर्षक डिजाइन और पैटर्न बन जाता है।
साड़ियां
चंदेरी
अभ्यासपूर्ण हाथ धीमी गती से कुशलता से चलते है। एक और सपना हकीकत बन जाता है। एक अति सुंदर साड़ी निखर आती है।
चंदेरी के छोटे से मध्ययुगीन शहर ने न केवल सदियों से बुनाई की दुर्लभ कला
की रक्षा की है, लेकिन साथ-साथ राजसी और आधुनिक, दोनों तरह की सोच वाली
महिलाओं की अभिरूचि के अनुकूल नए रूपों और डिजाइनों को विकसित किया है।
चंदेरी के बुनकरों द्वारा रेशम और कपास की बनी तथा अतीत में कुलीनता का
संरक्षण करनेवाली यह साड़ियां मोहकता और वैभव का उमदा प्रतीक हैं। बुनकरों
द्वारा बुनी गई डिजाइनर साड़ियां पारखी नजरों को लुभा रही है और विशेष
अवसरों के लिए पसंदीदा बनी हुई है।
इन साड़ियों पर बनी फल, फूल, पत्ते, और पक्षियों की रचना, प्रकृति की
सुहानी याद दिलाती है। साड़ियों के चमकीले और अद्वितीय उत्कृष्ट रंग अपने
द्वारा मानो प्रकृति की सुंदरता के प्रतिक प्रतीत होते है।
टसर
"अर्जुन", "सफा" और "साई" वृक्षों पर विशेष रूप से पाले गए कोश से प्राप्त
‘टसर' को गहरे पीले, सोने जैसे, शहद जैसे और क्रीम रंगों मे पाया जाता है।
पवित्रता, सुंदरता और वैभव का प्रतीक मानी जानेवाली ‘टसर' साड़ी उत्सव के
दौरान महिलाओं के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बनी रही है। बदलते समय के साथ
‘टसर' ने अपने परिवेश से रंग लेकर सवयं में बदलाव लाया है। भव्य और सुंदर
‘टसर' साड़ी, पारंपरिक तथा आधुनिक डिजाइनरों की भी पहली पसंद रही हैं।
माहेश्वरी
18 वीं सदी ने रानी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिभा से प्रेरित कला के इस रूप
को खिलते देखा। यह माहेश्वरी साड़ी, जरी से अलंकृत थी जिसमें रेशम और कपास
का सुंदर मेल था। अपने सामर्थ्य और लचिलेपन के उत्कृष्ट संयोजन के कारण
इसने दुनिया भर में प्रशंसक पाए है। "गुलदस्तां", "घुंघरू", "मयूर", "चान्द
तारा" जैसे इस साड़ी की किस्मों के नाम भी अपने आप में कविता है। इसके रंग
कोमलता से कानाफूसी करते है। आकर्षकता और दीप्ति, माहेश्वरी साड़ी साड़ी
की पहचान हैं।
दरीयां और कालीन
हाथ से बुनी हुई दरीयां और कालीन, विभिन्न शैली की आकृतियों के साथ विषम
रंग के मिश्रण में रंगी हुई होती हैं। हाथ से बुनी ज्यामितीय आकृतियों वाली
मातहत रंग की दरीयों के लिए मंदसौर मशहूर है। सतना की चीर से बनी दरीयां,
सीधी और शहडोल की ऊनी दरीयां तथा जोबत मे भीलों द्वारा बनाई जानेवाली पुंजा
दरीयां भी मशहूर है। ग्वालियर के साथ मुरैना भी, फ़ारसी कालीन से लेकर
सस्ती किस्मों के कालीन बुनाई का एक प्रमुख स्थान है।
रूपरेखा
सामान्य शासन विभाग राज्य शासन का एक वृहद् विभाग है. विभाग के कार्यों में नीति सम्बन्धी विषय, प्रशासनिक अधिकारीयों की पदस्थापना एवं सेवाएँ, शासकीय सेवकों की सेवाओं से सम्बंधित निर्देश सतर्कता से सम्बंधित कार्य मुख्य है। विभाग के 21 कक्ष तथा 8 प्रकोष्ठ है।इस विभाग के अंतर्गत संस्थान और संगठन
- आयुक्त, भोपाल संभाग, भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- लोकायुक्त संगठन बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- लोक सेवा आयोग, इंदौर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राजभवनबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- आर. सी. वी. पी . नोरोन्हा प्रशासन अकादमी बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य आर्थिक अपराध जांच ब्यूरो, मध्य प्रदेश बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य निर्वाचन आयोग External website that opens in a new window
- राज्य सूचना आयोग बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य प्रोटोकॉल, मध्य प्रदेश शासन बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- सूचना का अधिकार
सामान्य प्रशासन विभाग
- मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति
गृह विभाग
वित्त विभाग
- मध्यप्रदेश वित्त निगम
- भविष्य निधि निवेश कंपनी
परिवहन विभाग
- मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम
- राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण म.प्र., ग्वालियर
वन विभाग
- म.प्र. राज्य वन विकास निगम लिमिटेड
- म.प्र. राज्य लघु वनोपज (व्यापर एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित
- म.प्र. ईको पर्यटन विकास बोर्ड
वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग
- म.प्र. लघु उद्योग निगम लिमिटेड
- म.प्र. राज्य उद्योग निगम मर्यादित
- म.प्र. स्टेट इण्डस्ट्रीयल डेव्हलपमेंट कार्पो.लि.
- म.प्र. स्टेट टेक्सटाईल कार्पो. लिमिटेड
- म.प्र. ट्रेड एण्ड इन्वेस्टमेंट फेसीलिटेशन कार्पो. लिमिटेड (ट्रायफेक)
- म.प्र. औद्योगिक केन्द्र विकास निगम लिमिटेड
- म.प्र. स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पो. लि.
- उद्यमिता विकास केन्द्र
खनिज साधन विभाग
- दि मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कार्पो.लि.
ऊर्जा विभाग
- मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल
- म.प्र. ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग
- म.प्र. राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम
- मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था
- मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड
उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग
- म.प्र.स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कार्पो.लि.
सहकारिता विभाग
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी संघ मर्यादित
- म.प्र.राज्य तिलहन उत्पादक सहकारी संघ मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बीज उत्पादक एवं विपणन संघ मर्यादित
श्रम विभाग
- मध्यप्रदेश श्रम कल्याण मण्डल
- म.प्र.भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल
म.प्र.भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल
- मध्यप्रदेश स्टेट फार्मेसी कौंसिल
- मध्यप्रदेश मेडिकल कौंसिल
लोक निर्माण विभाग
- म.प्र. रोड डेव्हलपमेंट कार्पो. लिमिटेड
स्कूल शिक्षा विभाग
- माध्यमिक शिक्षा मण्डल, मध्यप्रदेश
- मध्यप्रदेश राज्य ओपन स्कूल
- मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम
- मध्यप्रदेश सर्व शिक्षा अभियान मिशन
- मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड
- महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान
- सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल, भोपाल
विधि और विधायी कार्य विभाग
- म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग
- म.प्र. जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान(वाल्मी)
- म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण
- म.प्र.जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना (डी.पी.आई.पी.)
- म.प्र. राज्य रोजगार गारंटी परिषद्
योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग
- मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद्
आदिम जाति कल्याण विभाग
- म.प्र. आदिवासी वित्त एवं विकास निगम
- राजीव गांधी खाद्यान्न सुरक्षा मिशन
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग
- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्यादित
- मध्यप्रदेश राज्य विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध्द घुमक्कड़ जाति विकास अभिकरण
- डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर राष्टीय सामाजिक विज्ञान संस्थान
नर्मदा घाटी विकास विभाग
- नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण
- सरदार सरोवर शिकायत निवारण प्राधिकरण
- शिकायत निवारण प्राधिकरण(नर्मदा संकुल परियोजनाए)
खाद्य , नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
- मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- मध्यप्रदेश वेअरहाऊसिंग एंड लाजिस्टिक्स कार्पोरेशन
संस्कृति विभाग
- मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्
- आदिवासी लोककला एवं बोली विकास आकादमी
- उस्ताद अलाउद्दीन खॉं संगीत एवं कला अकादमी
- साहित्य अकादमी
- कालीदास संस्कृत अकादमी
- सिन्धी साहित्य अकादमी
- मराठी साहित्य अकादमी
- मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय
आवास एवं पर्यावरण विभाग
- भोपाल विकास प्राधिकरण
- मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल
- पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को)
- राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (एस.ई.आइ.ए.ए.)
- मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- मध्यप्रदेश विकास प्राधिकरण संघ
- मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी आवास निगम
- आपदा प्रबंध संस्थान
पर्यटन विभाग
- मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लि.
पशुपालन विभाग
- मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम
- मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग
- मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ (सहकारी) मर्यादित
डेयरी विकास विभाग
- एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लि.
उच्च शिक्षा विभाग
- मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
- मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्
तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग
- मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल
लोक सेवा प्रबंधन विभाग
- राज्य स्तरीय 20 सूत्रीय क्रियान्वयन समिति, मध्यप्रदेश
- अटल बिहारी वाजपेयी लोक प्रशासन संस्थान
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग
- वेलफेयर कमिश्नर, भोपाल गैस पीडित, भोपाल
महिला एवं बाल विकास विभाग
- मध्यप्रदेश महिला वित्त एवं विकास निगम
- मध्यप्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड
ग्रामोद्योग विभाग
- मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड
- मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम
- मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
- मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम
- मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड
- मध्यप्रदेश स्टेट हज कमेटी
- मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी
चिकित्सा शिक्षा विभाग
- मध्यप्रदेश सह-चिकित्सीय परिषद्
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
- मध्यप्रदेश एजेन्सी फॉर प्रमोशन ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नॉलॉजी (मैप-आई.टी.)
जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग
- मध्यप्रदेश जैव प्रौद्योगिकी परिषद्
- मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड
संस्थान/संगठन
महाधिवक्ताबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- मध्यप्रदेश एजेंसी फॉर प्रमोशन ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी(MAPIT)बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- आर्मी सेंटर ऑफ़ एजुकेशन (ACE), पचमढ़ी बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- बैंक नोट मुद्रणालय, देवास बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान केन्द्र, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालयबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरोबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केंद्रीय फार्म, मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थानबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉरमेंस (CRISP)बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- चाइल्ड रिकॉर्ड इन्फोर्मेशन सिस्टम (क्रिस), जबलपुर डिवीजन बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- वाणिज्यिक कर अपीललेट बोर्डबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- आयुक्त, ग्वालियर संभाग बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- आयुक्त, जबलपुर संभागबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- आयुक्त, उज्जैन संभाग बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- संचार लेखा नियंत्रक, मध्य प्रदेश सर्किल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- वित्त और लेखा नियंत्रक (FYS), जबलपुर (M.P.)बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- डेस्टिनेशन मध्यप्रदेश, वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2007बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- दलहन विकास निदेशालयबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर, (ई.आर.सी.), भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- सहकारी प्रबंधन संस्थान, भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटलबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैनबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केन्द्रीय विद्यालय नं .2, भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केन्द्रीय विद्यालय, बर्कुही, छिंदवाड़ा बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- केन्द्रीय विद्यालय, एस.पी.एम., होशंगाबाद बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- एन.आर.आई. के लिए मध्य प्रदेश सुविधा केन्द्रबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (VYAPAM), भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड, भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (MSRVVP), उज्जैन.बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थानबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, इंदौर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- नेशनल कैपिटल रीजन (काउंटर मैग्नेट), ग्वालियरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- नेशनल जुडिशल अकादमी बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र, इंदौर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- खरपतवार सेवाओं के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान(NTTTI),भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पैरामेडिकल परिषदबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पासपोर्ट कार्यालय बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- भौतिक और वित्तीय निगरानी प्रणाली (एन.आर.एच.एम.), स्वास्थ्य सेवा, मध्य प्रदेशबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- पीएसएस सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ वोकेशनल एज्युकेशन (PSSCIVE)बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- प्रादेशिक अनुसंधान प्रयोगशालाबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरणबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल, भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज), इंदौरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य सहकारी विपणन संघबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य विद्युत बोर्डबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य लोड डिस्पैच सेंटर, एमपीएसईबी, जबलपुरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राज्य फार्मेसी परिषद भोपाल मध्य प्रदेशबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- विधान सभा
मध्यप्रदेश के संभाग और जिले
-
भोपाल
-
जबलपुर
-
इन्दौर
-
ग्वालियर
-
सागर
-
उज्जैन
-
शहडोल
-
चंबल
-
रीवा
-
होशंगाबाद / नर्मदापुरम
विश्वविद्यालय
- अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV), जबलपुर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, कटनी मध्यप्रदेशबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- नेशनल लॉ संस्थान विश्वविद्यालय, भोपालबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (RVSKVV), ग्वालियर मध्यप्रदेश MPबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
संस्थान
- भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान, ग्वालियरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), इंदौरबाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- भारतीय संस्थान आफ सोएल साइंस बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्ट्डीज़, इंदौर
स्थानीय निकाय
- जिला पंचायत श्योपुर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत मुरैना बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत ग्वालियर
- जिला पंचायत भिंड
- जिला पंचायत शिवपुरी
- जिला पंचायत गुना
- जिला पंचायत अशोकनगर
- जिला पंचायत दतिया बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत देवास बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत रतलाम
- जिला पंचायत शाजापुर
- जिला पंचायत मंदसौर
- जिला पंचायत नीमच
- जिला पंचायत उज्जैन
- जिला पंचायत इंदौर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत धार बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत अलीराजपुर
- जिला पंचायत झाबुआ
- जिला पंचायत खरगोन
- जिला पंचायत बड़वानी
- जिला पंचायत खण्डवा बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत बुरहानपुर
- जिला पंचायत भोपाल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत सीहोर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत रायसेन बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत राजगढ़
- जिला पंचायत विदिशा बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत बैतूल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत होशंगाबाद
- जिला पंचायत हरदा
- जिला पंचायत सागर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत दमोह बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत पन्ना
- जिला पंचायत छतरपुर
- जिला पंचायत टीकमगढ़
- जिला पंचायत कटनी बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत नरसिंहपुर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत जबलपुर बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत छिन्दवाङा बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत सिवनी
- जिला पंचायत मण्ङला बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत ङिण्ङोरी
- जिला पंचायत रीवा
- जिला पंचायत अनूपपुर
- जिला पंचायत सिंगरौली
- जिला पंचायत सतना
- जिला पंचायत बालाघाट बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत शहडोल बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत उमरिया बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
- जिला पंचायत सीधी
महत्वपूर्ण संपर्क नंबर
क्रमांक
| संभाग/जिला |
कमिश्नर/कलेक्टर का नाम
|
कोड
|
कार्यालय
का नम्बर |
निवास स्थान
का नम्बर |
फेक्स नम्बर
|
1.
| कमिश्नर, इन्दौर | श्री पी.के.परासर |
0731
|
2435111
2335222 |
2700888
2535113 | 2539552 |
.
| इन्दौर | श्री आकाश त्रिपाठी |
0731
|
2449111
2449112 |
2700111
| 2449114 |
धार | श्री सी.बी. सिंह |
07292
|
234702
|
234701
| 234711 | |
खरगौन | डॉ. नवनीत मोहन कोठारी |
07282
|
232363
|
232364
| 231668 | |
बड़वानी | श्री श्रमण शुक्ला |
07290
|
224001
|
222713
| 224003 | |
झाबुआ | श्रीमति जयश्री कियावट |
07392
|
243401
|
243402
| 243330 | |
अलीराजपुर | श्री राजेन्द्र सिंह | 07394 | 234400 | 234500 | 234222 | |
खण्डवा | श्री नीरज दुबे |
07332
|
224153
|
223333
| 226265 | |
बुरहानपुर | श्री आशुतोष अवस्थी |
07325
|
241000
|
242000
| 242043 | |
2.
| कमिश्नर, उज्जैन | श्री अरूण कुमार पांडे |
0734
|
2511671
|
2511670
| 2510553 |
.
| उज्जैन | श्री ब्रजमोहन शर्मा |
0734
|
2513161
2514000 |
2513000
2514001 |
2510878
|
देवास | श्री एम.के. अग्रवाल |
07272
|
252111
|
252222
252333 |
252444
| |
रतलाम |
श्री राजीव चंद्र दुबे
|
07412
|
270400
|
270402
|
270401
| |
शाजापुर | श्री प्रमोद कुमार गुप्ता |
07364
|
226500
|
228600
|
227378
| |
मंदसौर | श्री महेन्द्र ज्ञानी |
07422
|
235260
|
244270
|
235307
| |
नीमच | श्री लोकेश कुमार जाटव |
07423
|
223063
|
220083
|
228500
225633 | |
3.
| कमिश्नर, ग्वालियर | श्री एस.बी. सिंह |
0751
|
2452800
|
2340100
2340101 |
2457801
|
.
| ग्वालियर | श्री पी. नरहारी |
0751
|
2446200
|
2446300
|
2323301
|
शिवपुरी | श्री रविकांत जैन |
07492
|
233700
|
233701
|
233274
| |
गुना | श्री संदीप यादव |
07542
|
255626
|
255727
|
255408
| |
अशोकनगर | श्री भोंदवे संकेत शांताराम |
07543
|
222800
|
222809
|
225501
| |
दतिया | श्री जी.पी. कबीरपंथी |
07522
|
234100
|
234101
|
233017
| |
4.
| कमिश्नर, चंबल | श्री अशोक कुमार शिवहरे |
07532
|
232900
|
232660
|
233970
|
.
| मुरैना | श्री डी.डी. अग्रवाल |
07532
|
223500
|
223400
|
226780
231476 |
श्योपुर | श्री ज्ञानेश्वर बी. पाटिल |
07530
|
220058
|
220059
|
220015
| |
भिण्ड | श्री अखिलेश श्रीवास्तव |
07534
|
234200
|
234201
|
230511
| |
5.
| कमिश्नर, रीवा | श्री प्रदीप खरे |
07662
|
241766
|
241888
|
241766
|
.
| रीवा | श्री शिवनारायण रूप्ला |
07662
|
241635
|
242100
250086 |
242806
|
सीधी | डॉ. मसूद अख्तर |
07822
|
252204
|
252203
250014 |
252306
| |
सिंगरौली | श्री एम. सेलवेन्द्रन |
07805
|
234540
|
234412
|
233254
| |
सतना | श्री के.के. खरे |
07672
|
222911
|
222920
|
224688
| |
6.
| कमिश्नर, शहडोल | श्री प्रदीप खरे |
07652
|
245555
|
242000
|
241222
|
.
| शहडोल | श्री अशोक कुमार भार्गव |
07652
|
241700
|
241300
|
245330
|
अनूपपुर | श्री जे.के. जैन |
07659
|
222400
|
263400
|
222401
| |
उमरिया | श्री सुरेन्द्र उपाध्याय |
07653
|
222600
|
222700
|
222600
| |
डिण्डोरी | श्री नागर गोजे मदन विभीषण |
07644
|
304174
|
304175
|
304166
| |
7.
| कमिश्नर, सागर | श्री आर.के. माथुर |
07582
|
224400
|
224554
|
228087
|
.
| सागर | डॉ. ई. रमेश कुमार |
07582
|
221900
222070 |
222622
221220 |
222070
|
दमोह | श्री स्वंत्र कुमार सिंह |
07812
|
222345
|
222001
|
222376
| |
पन्ना | श्री धनंजय सिंह भण्डोरिया |
07732
|
252003
|
252004
|
252002
| |
छतरपुर | श्री राजेश बहुगुना |
07682
|
241500
|
241501
|
245231
241704 | |
टीकमगढ़ | श्री रघुराज एम.आर. |
07683
|
242250
242850 |
242251
|
242700
| |
8.
| कमिश्नर, भोपाल | श्री प्रवीण गर्ग |
0755
|
2540399
2548399 |
2431082
2431083 |
2548262
2548399 |
.
| भोपाल | श्री निकुंज श्रीवास्तव |
0755
|
2540494
2540843 |
2550003
2764366 |
2546733
|
सीहोर | श्री कविन्द्र कियावट |
07562
|
226855
227766 |
226811
|
226822
| |
रायसेन | श्री मोहनलाल मीणा |
07482
|
223201
|
223203
|
223243
| |
राजगढ़ | श्री एम.बी. ओझा |
07372
|
255025
|
255023
|
255067
| |
विदिशा | श्री आनंद शर्मा |
07592
|
234520
|
234530
|
237854
| |
9.
| कमिश्नर, नर्मदापुरम | श्री अरूण तिवारी |
0754
|
250000
|
250500
|
254262
|
.
| होशंगाबाद | श्री राहुल जैन |
07574
|
252800
232318 |
252900
|
254466
|
हरदा | श्री सुदाम पंडरीनाथ खंडे |
07577
|
225006
|
225001
|
225011
| |
बैतूल | श्री बी. चंद्रशेखर |
07141
|
230034
|
231033
|
230219
| |
10.
| कमिश्नर, जबलपुर | श्री दीपक खंडेकर |
0761
|
2679000
|
2679001
|
2679617
|
.
| जबलपुर | श्री गुलशन बामरा |
0761
|
2624100
|
2603333
|
2624200
|
कटनी | श्री अशोक कुमार सिंह |
07622
|
220009
|
226500
|
222266
252009 | |
नरसिंहपुर | श्री संजीव सिंह |
07792
|
230900
231178 |
230901
|
230915
| |
छिंदवाड़ा | श्री महेश चंद्र चौधरी |
07162
|
242302
|
242303
|
244467
| |
सिवनी | श्री अजीत कुमार |
07692
|
220444
220300 |
220301
220136 |
220990
2446631 | |
मंडला | सुश्री स्वाति मीणा |
07642
|
250600
|
250601
|
250411
| |
बालाघाट | श्री विवेक कुमार पोरवाल |
07632
|
240150
|
240660
240661 |
240250
|