हमने देखा है बहारों को
आते हुये
हमने देखा है भौंरों को
गुनगुनाते हुये
हमने देखा है तितलियों को
इठलाते हुये
हमने देखा है कलियों को
शरमाते हुये
हमने देखा है फूलों को
मुस्कुराते हुये
हमने देखा है पतझड़ भी
आते हुये. (कृष्ण धर शर्मा,2003)
आते हुये
हमने देखा है भौंरों को
गुनगुनाते हुये
हमने देखा है तितलियों को
इठलाते हुये
हमने देखा है कलियों को
शरमाते हुये
हमने देखा है फूलों को
मुस्कुराते हुये
हमने देखा है पतझड़ भी
आते हुये. (कृष्ण धर शर्मा,2003)
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