मंगलवार, 9 अगस्त 2011

हमनें देखा है

हमने देखा है बहारों को
आते हुये
हमने देखा है भौंरों को
गुनगुनाते हुये
हमने देखा है तितलियों को
इठलाते हुये
हमने देखा है कलियों को
शरमाते हुये
हमने देखा है फूलों को
मुस्कुराते हुये
हमने देखा है पतझड़  भी
आते हुये.  (कृष्ण धर शर्मा,2003)

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