शनिवार, 20 अप्रैल 2013

दोस्ती जुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिये


आप भी आईये हमको भी बुलाते रहिये
दोस्ती जुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिये

ज़हर पी जाइए और बांटिये अमृत सबको
ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिये

वक़्त ने लूट लीं लोगों की तम्मानाएं भी
ख्वाब जो देखिये औरों को दिखाते रहिये

शक्ल तो आपके भी ज़हेन में होगी कोई
कभी बन जायेगी तस्वीर बनाते रहिये
                                                       जावेद अख्तर 

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