शनिवार, 6 सितंबर 2014

आगरा का किला



आगरा का किला एक यूनेस्को घोषित विश्व धरोहर स्थल है, जो कि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। इसे लाल किला भी कहा जाता है। 
 

इसके लगभग 2.5 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में ही, विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताज महल स्थित है। इस किले को चहारदीवारी से घिरी प्रासाद (महल) नगरी कहना बेहतर होगा।  यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। यहां राज्य का सर्वाधिक खजाना, सम्पत्ति व टकसाल थी। यहां विदेशी राजदूत, यात्री व उच्च पदस्थ लोगों का आना जाना लगा रहता था, जिन्होंने भारत के इतिहास को रचा।
 
इतिहास  यह मूलतः एक ईंटों का किला था, जो चौहान वंश के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण 1080 ई. में आता है, जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्ज़ा किया था। सिकंदर लोदी (1487-1517), दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था, जिसने आगरा की यात्रा की, व इस किले में रहा था। उसने देश पर यहां से शासन किया, व आगरा को देश की द्वितीय राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु भी, इसी किले में 1517 में हुई थी, जिसके बाद, उसके पुत्र इब्राहिम लोदी ने गद्दी नौ वर्षों तक संभाली, तब तक, जब वो पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) में काम नहीं आ गया। उसने अपने काल में, यहां कई स्थान, मस्जिदें व कुएं बनवाये।  पानीपत के बाद, मुगलों ने इस किले पर भी कब्ज़ा कर लिया, साथ ही इसकी अगाध सम्पत्ति पर भी। इस सम्पत्ति में ही एक हीरा भी था, जो कि बाद में कोहिनूर हीरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तब इस किले में इब्राहिम के स्थान पर बाबर आया। उसने यहां एक बावली बनवायी। सन 1530 में, यहीं हुमायुं का राजतिलक भी हुआ। हुमायुं इसी वर्ष बिलग्राम में शेरशाह सूरी से हार गया, व किले पर उसका कब्ज़ा हो गया। इस किले पर अफगानों का कब्ज़ा पांच वर्षों तक रहा, जिन्हें अन्ततः मुगलों ने 1556 में पानीपत का द्वितीय युद्ध में हरा दिया।  इस की केन्द्रीय स्थिति को देखते हुए, अकबर ने इसे अपनी राजधानी बनाना निश्चित किया, व सन 1558 में यहां आया। उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है, कि यह किला एक ईंटों का किला था, जिसका नाम बादलगढ़ था। यह तब खस्ता हालत में था, व अकबर को इसि दोबारा बनवाना पड़ा, जो कि उसने लाल बलुआ पत्थर से निर्मण करवाया। इसकी नींव बड़े वास्तुकारों ने रखी। इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया, व बाहरी आवरण हेतु लाल बलुआ पत्तह्र लगवाया गया। इसके निर्माण में चौदह लाख चवालीस हजार कारीगर व मजदूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की, तब सन 1573 में यह बन कर तैयार हुआ।  अकबर के पौत्र शाहजहां ने इस स्थल को वर्तमान रूप में पहुंचाया। यह भी मिथक हैं, कि शाहजहां ने जब अपनी प्रिय पत्नी के लिये ताजमहल बनवाया, वह प्रयासरत था, कि इमारतें श्वेत संगमर्मर की बनें, जिनमें सोने व कीमती रत्न जड़े हुए हों। उसने किले के निर्माण के समय, कई पुरानी इमारतों व भवनों को तुड़वा भी दिया, जिससे कि किले में उसकी बनवायी इमारतें हों।  अपने जीवन के अंतिम दिनों में, शाहजहां को उसके पुत्र औरंगज़ेब ने इस ही किले में बंदी बना दिया था, एक ऐसी सजा, जो कि किले के महलों की विलासिता को देखते हुए, उतनी कड़ी नहीं थी। 

यह भी कहा जाता है, कि शाहजहां की मृत्यु किले के मुसम्मन बुर्ज में, ताजमहल को देखेते हुए हुई थी। इस बुर्ज के संगमर्मर के झरोखों से ताजमहल का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखता है।  यह किला १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय युद्ध स्थली भि बना। जिसके बाद भारत से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज्य समाप्त हुआ, व एक लगभग शताब्दी तक ब्रिटेन का सीधे शासन चला। जिसके बाद सीधे स्वतंत्रता ही मिली। 

खाका मुसम्मन बुर्ज के अंदर का दृश्य, जहां शाहजहां ने अपनी जीवन के अंतिम सात वर्ष ताजमहल को निहारते हुए, अपने पुत्र व उत्तराधिकारी औरंगज़ेब की नज़रबंदी में बिताये।  आगरा के किले को वर्ष 2004 के लिये आग़ाखां वास्तु पुरस्कार दिया गया था, व भारतीय डाक विभाग ने 28 नवंबर,2004 को इस महान क्षण की स्मृति में, एक डाकटिकट भी निकाला था।  इस किले का एक अर्ध-वृत्ताकार नक्शा है, जिसकी सीधी ओर यमुना नदी के समानांतर है। इसकी चहारदीवारी सत्तर फीट ऊंची हैं। इसमें दोहरे परकोटे हैं, जिनके बीछ बीच में भारी बुर्ज बराबर अंतराल पर हैं, जिनके साथ साथ ही तोपों के झरोखे, व रक्षा चौकियां भी बनी हैं। इसके चार कोनों पर चार द्वार हैं, जिनमें से एक खिजड़ी द्वार, नदी की ओर खुलता है।  इसके दो द्वारों को दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट कहते हैं (लाहौर गेट को अमरसिंह द्वार भी कहा जाता है)।शहर की ओर का दिल्ली द्वार,, चारों में से भव्यतम है। इसके अंदर एक और द्वार है, जिसे हाथी पोल कहते हैं, जिसके दोनों ओर, दो वास्तवाकार पाषाण हाथी की मूर्तियां हैं, जिनके स्वार रक्षक भी खड़े हैं। एक द्वार से खुलने वाला पुर, जो खाई पर बना है, व एक चोर दरवाजा, इसे अजेय बनाते हैं।   

स्मारक स्वरूप दिल्ली गेट, सम्राट का औपचारिक द्वार था, जिसे भारतीय सेना द्वारा (पैराशूट ब्रिगेड) हेतु किले के उत्तरी भाग के लिये छावनी रूप में प्रयोग किया जा रहा है। अतः दिल्ली द्वार जन साधारण हेतु खुला नहीं है। पर्यटक लाहौर द्वार से प्रवेश ले सकते हैं, जिसे कि लाहौर की ओर (अब पाकिस्तान में) मुख होने के कारण ऐसा नाम दिया गया है।  स्थापत्य इतिहास की दृष्टि से, यह स्थल अति महत्वपूर्ण है। अबुल फज़ल लिखता है, कि यहां लगभग पाँच सौ सुंदर इमारतें, बंगाली व गुजराती शैली में बनी थीं। कइयों को श्वेत संगमर्मर प्रासाद बनवाने हेतु ध्वस्त किया गया। अधिकांश को ब्रिटिश ने 1803 से 1862 के बीच, बैरेक बनवाने हेतु तुड़वा दिया। वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी ओर, मुश्किल से तीस इमारतें शेष हैं। इनमें से दिल्ली गेट, अकबर गेट व एक महल-बंगाली महल अकबर की प्रतिनिधि इमारतें हैं।  अकबर गेट अकबर दरवाज़ा को जहांगीर ने नाम बदल कर अमर सिंह द्वार कर दिया था। यह द्वार, दिल्ली-द्वार से मेल खाता हुआ है। दोनों ही लाल बलुआ पत्थर के बने हैं।  बंगाली महल भी लाल बलुआ पत्थर का बना है, व अब दो भागों -- अकबरी महल व जहांगीरी महल में बंटा हुआ है।  यहां कई हिन्दू व इस्लामी स्थापत्यकला के मिश्रण देखने को मिलते हैं। बल्कि कई इस्लामी अलंकरणों में तो इस्लाम में हराम (वर्जित) नमूने भी मिलते हैं, जैसेअज़दहे, हाथी व पक्षी, जहां आमतौर पर इस्लामी अलंकरणों में ज्यामितीय नमूने, लिखाइयां, आयतें आदि ही फलकों की सजावट में दिखाई देतीं हैं। 
आगरा किले का भीतरी विन्यास और स्थल खास़ महलl. जहाँगीरी महल      अंगूरी बाग - ८५ वर्ग मीटर, ज्यामितिय प्रबंधित उद्यान     दीवान-ए-आम - में मयूर सिंहासन या तख्ते ताउस स्थापित था इसका प्रयोग आम जनता से बात करने और उनकी फरयाद सुनने के लिये होता था।     

 दीवान-ए-ख़ास - का प्रयोग और उसके उच्च पदाधिकारियों की गोष्ठी और मंत्रणा के लिये किया जाता था,जहाँगीर का काला सिंहासन इसकी विशेषता थी     स्वर्ण मंडप - बंगाली झोंपड़ी के आकार की छतों वाले सुंदर मंडप      

जहाँगीरी महल - अकबर द्वारा अपने पुत्र जहाँगीर के लिये निर्मित     खास महल - श्वेत संगमरमर निर्मित यह महल, संगमरमर रंगसाजी का उत्कृष्ट उदाहरण है    
  
मछली भवन - तालाबों और फव्वारों से सुसज्जित, अन्त:पुर (जनानखाने) के उत्सवों के लिये बड़ा घेरा     मीना मस्जिद- एक छोटी मस्जिद     मोती मस्जिद - शाहजहाँ की निजी मस्जिद     मुसम्मन बुर्ज़ - ताजमहल की तरफ उन्मुख आलिन्द (छज्जे) वाला एक बड़ा अष्टभुजाकार बुर्ज़     नगीना मस्जिद - आलिन्द बराबर मे ही दरबार की महिलाओं के लिये निर्मित मस्जिद, जिसके भीतर ज़नाना मीना बाज़ार था जिसमें केवल महिलायें ही सामान बेचा करती थी।     नौबत खाना - जहाँ राजा के संगीतज्ञ वाद्ययंत्र बजाते थे।     रंग महल - जहाँ राजा की पत्नी और उपपत्नी रहती थी।     शाही बुर्ज़ - शाहजहाँ का निजी कार्य क्षेत्र     शाहजहाँ महलl - शाहजहाँ द्वारा लाल बलुआ पत्थर के महल के रूपान्तरण का प्रथम प्रयास     शीश महल - शाही छोटे जड़ाऊ दर्पणों से सुसज्जित राजसी वस्त्र बदलने का कमरा  
अन्य उल्लेखनीय तथ्य:
आगरा के किले को, इससे अपेक्षाकृत बहुत छोटे दिल्ली के लाल किले से नहीं भ्रमित किया जाना चाहिये। मुगलों ने दिल्ली के लाल किले को कभी किला नहीं कहा, बल्कि लाल हवेली कहा है। भारत के प्रधान मंत्री यहां की प्राचीर से 15 अगस्त को, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रति वर्ष, देश की जनता को सम्बोधित करते हैं।      सर अर्थर कॉनन डायल, प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास लेखक के शेर्लॉक होम्स रहस्य उपन्यास द साइन ऑफ फोर में, आगरा के किले का मुख्य दृश्य है।  प्रसिद्ध मिस्री पॉप गायक हीशम अब्बास के अलबम हबीबी द में आगरा का किला दिखाया गया है।  मिर्ज़ा राजे जय सिंह के संग पुरंदर संधिके अनुसार, शिवाजी आगरा 1666 में आये, व औरंगज़ेब से दीवान-ए-खास में मिले। उन्हें अपमान करने हेतु, उनके स्तर से कहीं नीचा आसन दिया गया। वे अपमानित होने से पूर्व ही, दरबार छोड़कर चले गये। बाद में उन्हें जयसिंह के भवन में ही 12 मई,1666 को नज़रबंद किया गया। उनकी एक ओजपूर्ण अशवारोही मूर्ति, किले के बाहर लगायी गयी है।   यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक आदर्श उदाहरण है। यहां स्पष्ट है, कि कैसे उत्तर भारतीय दुर्ग निर्माण, दक्षिण भारतीय दुर्ग निर्माण से भिन्न होता था। दक्षिण भारत के अधिकांश दुर्ग, सागर किनारे निर्मित हैं।   

एज ऑफ ऐम्पायर – 3 के विस्तार पैक एशियन डाय्नैस्टीज़, में आगरा के किले को भारतीय सभ्यता के पांच अजूबों में से एक दिखाया गया है, जिसे जीतने के बाद ही, कोई अगले स्तर पर जा सकता है। एक बार बनने के बाद, यह खिलाड़ी को सिक्कों के जहाज भेजता रहता है। इस वर्ज़न में कई अन्य खूबियां भी हैं।
कुछ और जानकारियां:


आगरा का किला आ गरा किला, भारत का एक अति प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण किला है। यह किला आगरा शहर में यमुना नदी के दाँॅंए तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता हैे कि यह किला बादलगढ़ नाम के एक प्राचीन गढ़ के अवषेष पर स्थित है। 1517 0 में सिकन्दर लोदी की मृत्यु के बाद उसके पुत्र इब्राहीम लोदी के नियंत्रण में यह किला आया औार भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर से 1526 0 में पानीपत की लड़ाई में पराजित और मृत्यु को प्राप्त होने तक उसके अधीन रहा। बाबर ने अपने पुत्र को आगरा भेजा जिसने किले को अपने अधीन किया और विष्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा सहित भारी मात्रा में धन दौलत को जब्त कर लिया। 1530 0 में हुमायू का यहां राज्याभिषेक भी हुआ था।  सूरवंष के शेरषाह सूरी ने हुमायँ को पराजित कर यह किला अपने नियत्रंण में ले लिया। लाल बलुए पत्थरों से किले की अधिकांष भवन एवं प्राचीर को अकबर ने आठ सालों (1565-73) में बनवाया था। उसका पुत्र जहागीर अधिकांषतः लाहौर और कश्मीर में निवास किया करता था किन्तु आगरा नियमित रूप से आता था और किले में निवास करता था। यद्यपि जहाँॅंगीर के पुत्र शाहजहाॅंँ ने भी अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली 1648 0 स्थानान्तरित कर दिया था फिर भी आगरा किले मंे ही निवास करता था।  शाहजहाँॅं ने लाल बलुए पत्थरों से निर्मित किले की अधिकांष संरचनाऐं गिरवाकर उसकी जगह सुन्दर श्वेत संगमरमर पत्थरों से निर्मित महल बनवाए। ओैरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाॅंँ को उनकी मृत्यु 1666 0 तक यहाँॅं कैद कर रखा था। यद्यपि औरंगजेब दक्षिण के युद्ध में लगातार व्यस्त रहा किन्तु समय-समय पर यहाँॅं आता था और दरबार लगाता था। 1666 0 में षिवाजी ने आगरा के दीवाने खास में औरंगजेब से मुलाकात की थी। 1707 0 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद आगरा मेंु राजनैतिक अस्थिरता आ गई। अन्ततोगत्वा इस पर जाटों और मराठों ने अपना आधिपत्य जमा लिया। 1803 0 में मराठों से अंगे्रजों ने इसे अपने कब्जे मेें लिया।  इस किले का भूविन्यास अर्ध वृत्ताकार हे जो यमुना नदी की धारा के समानान्तर चाप जैसी आकृति में है। इसकी 70 फीट ऊंॅंची दोहरी प्राचीर चैड़ी एवं विषाल वृत्ताकार बुर्ज जो नियमित अंतराल पर चारों तरफ चार द्वार के साथ बना है। इन द्वारों को अमर सिंह द्वार, दिल्ली द्वार, हाथी द्वार, और खीजड़ी द्वार (जल द्वार) के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में अमर सिंह द्वार ही प्रयोग में आ रहा है। किले का एक भाग भारतीय सेना के नियंत्रण में है।  आगरा किला में धार्मिक एवं धर्मनिरपेक्ष दोनों तरह के सुन्दर भवन बने हुए हैं। किले के महत्वपूर्ण स्मारकों में अमर सिंह द्वार, अकबरी महल, जहाॅंँगीर का हौज, जहाँॅंगीरी महल, खास महल या आराम-गाह या निजीकक्ष (जिसमें प्रत्येक तरफ सुन्दर दीर्घाएँं हैं), अंगूरी बाग, चित्तौड़ द्वार, शीषमहल, मुसम्मन बुर्ज जिसके साथ पच्चीसी दरबार और कक्षों से घिरा दीवाने खास, मच्छी भवन, मीना मस्जिद, नगीना मस्जिद, दीवाने आम, मोती मस्जिद, सलीम गढ़, शाहजहाँॅं का महल, सोमनाथ द्वार को अतिक्रमित कर मराठा भवन, रतन सिंह की हवेली और जाॅन रसल कैल्विन की कब्र है।  सूर्योदय से सूर्यास्तके लिए खुला (शुक्रवार बंद) 

प्रवेश शुल्क:  भारत के नागरिक और सार्क (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिम्सटेक देशों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमार) के आगंतुकों के लिए -10 रु. प्रति आगंतुक अन्य: रु. 250 / - रूपये प्रति व्यक्ति (एएसआई); रु. 500 / - टोल टैक्स के रूप में प्रति व्यक्ति (आगरा विकास प्राधिकरण) रु. 500 / - एडीए के टिकट आगरा फोर्ट,एत्मदौल्ला , अकबर का मकबरा, सिकन्दरा और फतेहपुर सीकरी के स्मारकों के लिए मान्य है (15 साल से मुक्त करने के लिए बच्चों). 
साभार-इंटरनेट व अन्य
 

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