गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

आवारा मसीहा

 शरत् ने उत्तर दिया, "यह आपकी भूल है। राजनीति में योग देना देशवासियों का कर्त्तव्य है। विशेषकर हमारे देश में यह राजनीतिक आन्दोलन देश की मुक्ति का आन्दोलन है। इस आन्दोलन में साहित्यिकों को सबसे आगे बढ़कर योग देना चाहिए। लोकमत जाग्रत् करने का गुरुभार संसार के सभी देशों में साहित्यिकों के ऊपर रहा है।"



#साहित्य_की_सोहबत

#पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे

#हिंदीसाहित्य

#साहित्य

#कृष्णधरशर्मा


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें