गुरुवार, 5 जुलाई 2018

जाने कितने रंग पलाश के - मृदुला बाजपेयी


"से ला पास तक पहुँचना क्या आसान था? 14 हजार फीट की ऊँचाई और कड़ाके की सर्दी। चारों तरफ बर्फ़ ही बर्फ़ थी। हमारी फ़ौज के पास न तो सर्दी से बचने के पर्याप्त कपड़े थे, न ही अन्य कोई सामान और न ही पर्याप्त मात्रा में हथियार व् गोला बारूद। सब कुछ इतना अप्रत्याशित था। अजीब अफ़रा-तफ़री का माहौल था। किसी को कुछ भी ठीक-ठीक पता न था। शायद भारतीय सेना लड़ाई के लिए तैयार ही नहीं थीं" (जाने कितने रंग पलाश के-मृदुला बाजपेयी)

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