शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

फ़क़ीर- रुजबेह एन. भरूचा अनुवाद- डॉली भसीन

 "बेटा तुम्हे पता है कि दुख-दर्द भगवान् का दिया  सबसे बड़ा उपहार है, क्योंकि यही दुख-दर्द, स्नेह औए संवेदना के द्वार खोलता है और यही स्नेह व् संवेदना स्वर्ग तथा ईश्वरीय अभिज्ञान की ओर ले जाते हैं। यदि आप तकलीफ़ में हों तभी आप दूसरों की तकलीफ़  समझकर उनसे सहानुभूति करते हैं। आप दूसरों की कमजोरियों और अजब व्यवहार को समझ पाते हैं। चूँकि दुख-तकलीफ़ में होते हुए कभी आपने भी दूसरों के साथ दुर्व्यवहार किया होगा, उनका दिल दुखाया होगा अथवा कमजोरी के किसी क्षण में ऐसा कुछ किया होगा, जो आपको नहीं करना चाहिए था। तकलीफ़ सदैव आपको भगवान व् दूसरे प्राणियों के निकट ले जाती है। तकलीफ़ आपको दूसरों के दुख क आँसुओं के प्रति अधिक सहृदय बनाती है।" (फ़क़ीर- रुजबेह एन. भरूचा) अनुवाद- डॉली भसीन



#साहित्य_की_सोहबत

#पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे

#हिंदीसाहित्य

#साहित्य

#कृष्णधरशर्मा


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें