शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

अनमनी सी जिंदगी


अल्लसुबह की मीठी नींद
का मोह छोड़कर
लग जाते हैं काम पर
जाने की तैयारी में
मुंहअँधेरे ही गिरते-पड़ते से
सोते हुए बच्चे का माथा
चूमकर निकल पड़ते हैं
दिनभर काम में
अनमने से खटने के लिए
निभाने पड़ते हैं कई रस्मो-रिवाज
कई रिश्ते भी बेमन से
सुननी पड़ती हैं कई-कई बातें
ताने-उलाहने भी रोज ही
या कहा जाये सीधे-सीधे ही
कि जीनी पड़ती पूरी जिन्दगी ही
बिना मन के, अनमने ही
          (कृष्ण धर शर्मा, 02.03.2018)

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