अल्लसुबह
की मीठी नींद
का
मोह छोड़कर
लग
जाते हैं काम पर
जाने
की तैयारी में
मुंहअँधेरे
ही गिरते-पड़ते से
सोते
हुए बच्चे का माथा
चूमकर
निकल पड़ते हैं
दिनभर
काम में
अनमने
से खटने के लिए
निभाने
पड़ते हैं कई रस्मो-रिवाज
कई
रिश्ते भी बेमन से
सुननी
पड़ती हैं कई-कई बातें
ताने-उलाहने
भी रोज ही
या
कहा जाये सीधे-सीधे ही
कि
जीनी पड़ती पूरी जिन्दगी ही
बिना
मन के, अनमने ही
(कृष्ण
धर शर्मा, 02.03.2018)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें