शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

हिंदी की वर्तनी-संत समीर

 "यह भी आश्चर्य की ही बात है कि अपने ढाई हज़ार चिन्हनुमा अक्षरों के साथ चीनी भाषा निरंतर विकसित हो रही है, जापानी की चित्रात्मक लिपि जापानियों को परेशान नहीं करती, पर हिंदी की वैज्ञानिकता बचाये रखने भर को सिर्फ़ इने-गिने वर्णों-शब्दों का शुद्ध इस्तेमाल भी हमारे मीडिया महारथियों को बोझ लग रहा है। आश्चर्य यह भी है कि ये ही लोग अंग्रेजी में हिज्जे की एकाध गलती से उद्विग्न हो उठते हैं, पर हिंदी में घोर अराजकता भी इन्हें परेशान नहीं करती। टी.वी. चैनलों और अखबारों -पत्रिकाओं से भले तो 'अंतरजाल' (इंटरनेट) के चिट्ठे (ब्लॉग) हैं, जहाँ चिट्ठाकारी कर रहे नवसिखुवे तक टूटी-फूटी और काफ़ी हद तक अराजक किस्म की हिंदी लिखते हुए भी निरंतर भाषा-सुधार का अभियान-सा चलाए हुए हैं और हिंदी के अनुकूल तकनीकी सुधार भी कर रहे हैं। (हिंदी की वर्तनी-संत समीर)



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