गेहूं, चावल की चार बोरियों को दुकान से उठाकर 50 मीटर दूर कार की
डिक्की में रखवाने के लिए वह पल्लेदार से बहस कर रहे थे “हद है भाई लूट की! 4
बोरियों की हमाली का 40 रुपया! अंधेर मचा रखी है इन लोगों ने.!
“चलो हटो रहने दो, मैं खुद ही उठाकर कार में रख लूँगा”
उन्होंने गुस्से में एक बोरी उठाई और कार तक पहुँचने से पहले ही
लड़खड़ाकर बोरी सहित उलट गए. “हाय राम! कमर तो टूट गई मेरी”
इतने में वह पल्लेदार दौड़कर आया और उन्हें उठाकर कार में बिठाते हुए
बोला “आप रहने दीजिये सर, मैं बोरियों को उठाकर रख देता हूँ”
पल्लेदार ने देखते ही देखते चारों बोरियों को उठाकर कार्ट की डिक्की
में रख दिया और उनको नमस्कार करके जाने लगा तो उन्होंने बुलाकर उसके हाथ में 50
रूपये का एक नोट रख दिया.
पल्लेदार उन्हें 20 रूपये वापस करने लगा तो उन्होंने आश्चर्य से कहा
“अरे भाई पूरे रूपये रख लो, वैसे भी तुम्हारी मेहनत के 40 रूपये तो हो ही रहे हैं
फिर तुमने गिर जाने पर मेरी हेल्प भी तो की है”
पल्लेदार मुस्कुराते हुए बोला “नहीं सर, मैंने 3 बोरी ही आपकी कार में
लोड की है. एक बोरी तो आप खुद ही उठाकर कार के पास लेकर पहुँच चुके थे. और हम लोग
किसी के गिर जाने पर उसको उठाने का रुपया नहीं लेते हैं सर”
कहते हुए पल्लेदार हाथ जोड़कर अपने स्थान की ओर लौट गया और वह पल्लेदार
की गन्दी पीठ ऑस साफ़ नीयत को देखते रहे.
(कृष्ण धर शर्मा 29.3.2019)
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