बुधवार, 15 मई 2019

माँ के लिए- हेमधर शर्मा

 "पर एक बात कहूँ माँ! 

तुम्हारा सहयोग अगर मिले न, 

तो जी मैं अब भी सकता हूँ। 

बस एक बार तुम मेरी दुश्चिंता छोड़ दो 

और फिर देखो कि मैं क्या नहीं कर सकता हूँ 

तुम मेरे घर में स्वर्ग देखना चाहती हो माँ 

पर मैं तो सारी दुनिया को स्वर्ग बना देना चाहता हूँ 

आखिर तुम्हारी करुणा ने ही तो मेरे अंदर 

विस्तार पाया है"

 (माँ के लिए- हेमधर शर्मा)




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