बुधवार, 24 जुलाई 2019

अंतिम छोर का आदमी


बनानेवाला कोई भी रहा हो
मगर हर सूची में रहा उसका नाम
हमेशा से ही अंतिम छोर पर
जहाँ तक पहुँचते-पहुँचते
ख़त्म हो जाती थीं तमाम वस्तुएं
योजनायें और उनका बजट
उसके नाम पर चाहे चलते रहे
सैकड़ों, हजारों एनजीओ या संस्थाएं
जिन्हें मिलते रहे अनुदान और  
सहायता राशियां लाखों, करोड़ों में
मगर पहुँच नहीं पाया उसका हिस्सा
उस तक ही, तमाम कोशिशों के बाद भी...
         (कृष्ण धर शर्मा, 10.01.2019)

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