गुरुवार, 29 अगस्त 2019

मन-माटी- असग़र वजाहत

 "देखना चाहिए कि भारत पाकिस्तान में रहनेवाले लोग कौन हैं? कौन सी ज़बानें बोलते हैं? उनकी तहज़ीब क्या है? उनकी तारीख़ क्या है? इसमें कोई शक नहीं...ये मैंने अपनी आँखों से पहली बार देखा और महसूस किया है कि इन मुल्कों में रहने वाले दुश्मन नहीं हैं...इनको दुश्मन क्यों बना दिया गया है...मैंने कहीं पढ़ा है कि कायदे आज़म पाकिस्तान में अपनी ज़रूरी जिम्मेदारियां पूरी करके बंबई में जाकर रहना चाहते थे क्योंकि वह शहर उन्हें पसन्द था...गांधीजी पाकिस्तान जाना चाहते थे...क्यों? इन दोनों हज़रात का क्या ख़याल था इन दो मुल्कों के बारे में? अफ़सोस ये है कि दोनों को अपने इन ख़यालात के इज़्हार के लिए वक़्त नहीं मिल सका...लेकिन इतना तय है कि इंसानी रिश्तों, जज़्बों को कुचलकर सरहदें नहीं बनाई जानी चाहिये..." (मन-माटी- असग़र वजाहत)



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