प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है जिसका उद्देश्य विश्व में झगड़ों और विवादों की समाप्ति तथा शांति व्यवस्था कायम करना है.
क्या है विश्व शांति दिवस
विश्व शांति दिवस-2019 उन सभी लोगों को समर्पित है, जिन्होंने अपने समुदायों या राष्ट्रों में शांति लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है. अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 1981 में शांति की संस्कृति पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को स्वीकार करके स्थापित किया गया था. वर्ष 2001 में, लगभग दो दशक बाद, संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने सर्वसम्मति से अहिंसा और संघर्ष विराम की अवधि के रूप में इस दिन को नामित करने के लिए मतदान किया. इसे पहली बार वर्ष 1982 में कई देशों, राजनीतिक समूहों, सैन्य समूहों और लोगों द्वारा मनाया गया. वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसे शांति शिक्षा के लिए समर्पित किया.
विश्व शांति दिवस-2019 की थीम
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की थीम का नाम है “शांति के लिए क्लाइमेट एक्शन” (Climate Action for Peace). इस खास थीम को चुनने का उद्देश्य है जलवायु परिवर्तन पर खास ध्यान देना. ऐसा मानना है कि जलवायु में हो रहा परिवर्तन विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है.
विश्व शांति दिवस का महत्व
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने संदेश में कहा, "आज शांति एक नए खतरे का सामना कर रही है, जलवायु आपातकाल, जो हमारी सुरक्षा, हमारी आजीविका और हमारे जीवन के लिए एक खतरा है. इसलिए, UN ने जलवायु परिवर्तन पर इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया. इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा क्लाइमेट एक्शन के लिए एक शिखर सम्मेलन बुलाया जा रहा है."
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सभी के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास उपलब्ध कराकर ही शांतिपूर्ण दुनिया बनाने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि एक शांतिपूर्ण विश्व की स्थापना तभी की जा सकती है जब भूख, गरीबी, अशिक्षा, लिंग असमानता, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक न्याय और विभिन्न अन्य मुद्दों को हल किया जा सके. पृष्ठभूमि सबसे पहले वर्ष 1981 में विश्व शांति दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के सम्मुख रखा गया था. इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य शांति के आदर्शों को मनाने और मजबूत करने के लिए विश्व को समर्पित करना था.
साभार-जागरण जोश
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