मंगलवार, 31 मार्च 2020

गन्दगी


दीनू ने अपनी माँ से कहा “माँ, मैंने अपने लिए एक लड़की पसंद की है. सरकारी नौकरी में है. इसी शहर की है.”
माँ ने परेशान होते हुए कहा “तूने अपने मन से लड़की पसंद कर ली और मुझे अब बता रहा है!”
दीनू ने कहा “अरे माँ! पहले लड़की की फोटो तो देख लो फिर बाद में गुस्सा करना.”
दीनू ने अपने मोबाईल फोन में लड़की की फोटो दिखाते हुए माँ से पूछा “अब बताओ माँ! कैसी लग रही है तुम्हारी होनेवाली बहू!”
माँ ने फोटो देखते हुए कहा “दिखने में तो बहुत सुन्दर और सुशील लग रही है बेटा, मगर उसके परिवार वाले कौन हैं क्या करते हैं और लड़की क्या नौकरी करती है!”
माँ के सवालों की बौछार से दीनू पहले तो हड़बड़ा गया मगर फिर संयत होते हुए बोला “लड़की के माँ-बाप नहीं हैं, बचपन में ही एक दुर्घटना में मारे गए थे. वह अनाथ आश्रम में ही पली-बढ़ी है. अभी नगर पंचायत में सफाई कर्मचारी का काम करती है”
माँ ने गुस्से मे दीनू को घूरते हुए कहा “क्या कहा! वह सफाई कर्मचारी है! तेरा दिमाग तो ठीक है न! तू एक नाली साफ़ करनेवाली लड़की से शादी करेगा!”
‘इससे क्या फर्क पड़ता है माँ कि वह एक सफाई कर्मचारी है”
“वाह बेटा! क्या फर्क पड़ता है! अरे समाज में हमारी भी कोई इज्जत है. तू सबके सामने हमारी नाक कटवाएगा क्या!”
“इसमें नाक कटवाने वाली क्या बात हुई माँ! मैं एक सफाई करने वाली से ही तो शादी करना चाहता हूँ न कि एक गन्दगी फ़ैलाने वाली से! इससे तो हमारी इज्जत और बढ़नी चाहिए न माँ!”
बेटे की बात सुनकर माँ ने नाराजगी से कहा “अब तो तू समझदार हो गया है बेटा, अब भला मेरी बात क्यों मानेगा. जा, तुझे जो करना है कर, मगर मुझसे कुछ उम्मीद मत रखना” कहकर गुस्से से पैर पटकती हुई माँ रसोई मे चली गई और दीनू वहीँ खड़ा सोचता रहा कि गंदगी नाली से ज्यादा तो लोगों के दिमाग में भरी हुई है.     
      कृष्ण धर शर्मा 08.03.2020   
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