शुक्रवार, 26 जून 2020

कठगुलाब- मृदुला गर्ग

 "मुझे बहुत हंसी आयी थी। जो लोग बात-बात पर प्यार करते हैं और बात-बात पर तलाक, जिनके यहाँ करीब-करीब हर बच्चे के दो-एक सौतेले या संरक्षक माँ-बाप होते हैं, जिन्हें अपने आजाद समाज और सेक्स के अमर्यादित आनन्द पर इतना नाज है; वे यह भी मानते हैं कि माँ-बाप के सेक्स सम्बन्धों का बच्चों पर इतना दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, उन्हीं प्रभावों की शिनाख्त, निरूपण और इलाज पर लाखों डॉलर की खपतवाला या साइक्याट्रिक उद्योग टिका हुआ है। (कठगुलाब- मृदुला गर्ग)



#साहित्य_की_सोहबत  #पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे

#हिंदीसाहित्य  #साहित्य  #कृष्णधरशर्मा

Samajkibaat समाज की बात

 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें