शनिवार, 15 अगस्त 2020

कागजी रावण

हर वर्ष जलाते हो रावण
पर ख़त्म नहीं कर कर पाते हो
अपनी असफलताओं पर भी
तुम क्यों इतना इतराते हो
थक चुके हो जला-जलाकर
तुम बाहर के रावण को
कभी झांककर देखो तुम
अपने भीतर के रावण को
इस रावण को मरोगे तो
तभी मरेगा असली रावण
वरना तुम्हारी कई पीढियां
जलाती रहेंगी कागजी रावण

      (कृष्ण धर शर्मा, 08.10.2019)

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