बंगलेनुमा आलीशान मकान में
बेतहाशा बजते लाउडस्पीकर पर
बज रहे हैं देशी-विदेशी गाने
चल रहे हैं दौर पार्टी में
एक से बढ़कर एक पकवानों के
परोसी जा रही हैं मेहमानों को
मंहगी लाजवाब विदेशी शराबें
थिरक रहे हैं मस्ती में कुछ जोड़े
दुनिया के रंजो-गम से बेफिक्र
मना रहे हैं सब मिलकर उत्सव
खुशियों का उपलब्धियों का
उसी आलीशान मकान से
कुछ सौ मीटर की दूरी पर
सड़क के किनारे बेकार से पड़े
पुलिया पाइप के अन्दर
मूसलाधार बरसती हुई रात में
भीगने से बचने की
असफल कोशिश में
पांच जनों का परिवार
गीले होकर ठिठुरते और
भूख से छटपटाते हुए
तीन साल के बच्चे को
रोटी न पहुंचा पाना
लोकतंत्र की अवमानना नहीं है
तो और क्या है माननीय!...
कृष्णधर शर्मा 2.9.2020
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