रविवार, 11 अगस्त 2024

एक बड़ा अधिकारी था

एक बड़ा अधिकारी था

सूरत से तो अच्छा था

सीरत से बड़ा भिखारी था

तनखा अच्छी पाता था 

फिर भी मांग के खाता था

काम अधिक ना करता था

फिर भी रौब जमाता था

बड़े ठाट से रहता था

बड़े बाट से रहता था

एक बड़ा अधिकारी था

मांग-मांग कर खाता था

बड़े-बड़ों से डरता था

छोटों को सताता था

मंहगी दारू पीता था

सस्ती बातें करता था

अपने को अच्छा कहता

औरों को चोर बताता था

एक बड़ा अधिकारी था

मांग-मांग कर खाता था

       कृष्णधर शर्मा 11.8.24

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें