"जिंदगी ख़ूबसूरत है, बस जीना आना चाहिए" *कृष्णधर शर्मा*
गर्मी की तपती चिलचिलाती धूप
और बरसात की बेतरह उमस के बाद
जब आता है अक्तूबर का महीना
मिलती है थोड़ी शांति
शरीर को भी और आत्मा को भी
और किसान को भी
जो बेहद थक चुके होते हैं इन
चार-पाँच महीनों में
अपनी खेती-बाड़ी के काम से
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Samajkibaat समाज की बात
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