"जिंदगी ख़ूबसूरत है, बस जीना आना चाहिए" *कृष्णधर शर्मा*
यूँ पुरखों की जमीन बेचकर शहरों में न जाया करो
कब छोड़ना पड़ जाए शहर! गाँव में भी घर बनाया करो
कृष्णधर शर्मा 11.2.25
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें