बुधवार, 2 अप्रैल 2025

अगर यक़ीं नहीं आता तो आज़माए मुझे,

वो आइना है तो फिर आइना दिखाए मुझे.!!


अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ,

मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे.!!


मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की,

बिखर गया हूँ तो अब रेत से उठाए मुझे.!!


बहुत दिनों से मैं इन पत्थरों में पत्थर हूँ,

कोई तो आए ज़रा देर को रुलाये मुझे.!!


मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो,

तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे.!!


बशीर बद्र



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें