मंगलवार, 9 सितंबर 2025

ओ बादल आते रहना

ओ बादल आते रहना हमेशा मेरे आंगन में

कभी सूरज के साथ आना तो कभी चन्दा के साथ

तुम आते हो तो जीवन में उमंग बनी रहती है

जीवन जीने की इच्छा मन में बची रहती है

ओ बादल तुम आते हो तो आते हैं तुम्हारे साथ

तुम्हारे ही भीतर छुपे हुए कई कई लोग

मैं देखता हूँ उनमें अपने जाने-पहचाने चेहरे

जो मिले होते हैं जीवन में किसी मोड़ पर कभी

फिर होती है आँख-मिचौली उनके साथ

बहुत अच्छा लगता है तुम्हारा आना

जैसे किसी प्रेमिका का आना

और मेरे सर को अपने गोद में रखकर

हौले-हौले से बालों को सहलाना

मेरे अन्दर बची हैं बहुत सारी बातें

जो करनी हैं तुमसे एक दिन खुलकर

एक तुम्ही तो हो मेरी उस प्रेमिका के बाद

जिससे की जा सकती हैं दुनिया जहान की

ढेर सारी बातें तुम्हारी गोद में सिर रखकर

कई-कई घंटे, दिन, महीने और सालों तक

जब तक ख़त्म न हो जाएँ सारी बातें

रीत न जाए मेरे मन में

भरी हुई बातों का खजाना...

      कृष्णधर शर्मा 8.9.25

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