मंगलवार, 9 अगस्त 2011

बंद खिड़की

मैंने जब से अपने
बंद कमरे की दीवार में
एक खिड़की बनवाई है
मेरे कमरे में चांद और सूरज
आने लगे हैं
तारे भी जगमगाने लगे हैं
पहले क्यों नहीं आते थे!
यह मेरी समझ में
अब आ रहा है
कि किसी के आने के लिये
किसी रास्ते का
होना भी जरूरी है
और उससे भी जरूरी है
उस रास्ते का खुला होना
क्योंकि
कोई आना भी चाहे तो
हमनें ही बंद कर रखे है
सारे रास्ते
ऐसे में दरवाजे तक आकर
लौट जाने वालों की 
गलती कहां से मानी जाये! .(कृष्ण धर शर्मा,2008)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें