मंगलवार, 9 अगस्त 2011

अपने हिस्से का जीवन

जब कभी मैं परेशान होता हूं
मेरा मन मुझे  समझाता है
जब कभी मैं उदास होता हूं
 मेरा मन मुझे बहलाता है
 जब कभी मुझे हर तरफ
अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है
 मेरा मन ही मुझे रास्ता दिखाता है
जब कभी मैं लगता हूं डूबने
बीच मझधार में
 तब मेरा मन ही मुझे पार लगाता है
जब कभी मैं हो जाता हूं निराश
मेरा मन मुझमें आशायें जगाता है
और कहता है मेरा मन मुझसे
कि जीवन मिला है कुछ करने के लिये
अगर ज्यादा कुछ ना कर सके
तो तू दिखा दे जीकर ही
अपने हिस्से का जीवन.(कृष्ण धर शर्मा,2007)

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