जब कभी मैं परेशान होता हूं
मेरा मन मुझे समझाता है
जब कभी मैं उदास होता हूं
मेरा मन मुझे बहलाता है
जब कभी मुझे हर तरफ
अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है
मेरा मन ही मुझे रास्ता दिखाता है
जब कभी मैं लगता हूं डूबने
बीच मझधार में
तब मेरा मन ही मुझे पार लगाता है
जब कभी मैं हो जाता हूं निराश
मेरा मन मुझे समझाता है
जब कभी मैं उदास होता हूं
मेरा मन मुझे बहलाता है
जब कभी मुझे हर तरफ
अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है
मेरा मन ही मुझे रास्ता दिखाता है
जब कभी मैं लगता हूं डूबने
बीच मझधार में
तब मेरा मन ही मुझे पार लगाता है
जब कभी मैं हो जाता हूं निराश
मेरा मन मुझमें आशायें जगाता है
और कहता है मेरा मन मुझसे
कि जीवन मिला है कुछ करने के लिये
अगर ज्यादा कुछ ना कर सके
तो तू दिखा दे जीकर ही
अपने हिस्से का जीवन.(कृष्ण धर शर्मा,2007)
और कहता है मेरा मन मुझसे
कि जीवन मिला है कुछ करने के लिये
अगर ज्यादा कुछ ना कर सके
तो तू दिखा दे जीकर ही
अपने हिस्से का जीवन.(कृष्ण धर शर्मा,2007)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें