उड़ रहे हैं पंछी खुले आसमान में
कलरव करते हुये
जीवन का सच्चा आनंद लेते हुये
मस्त गगन में उड़ते हुये
ना कोई चिंता ना कोई बीमारी है उन्हें
स्वतंत्रता जान से भी ज्यादा प्यारी है उन्हें
स्वतंत्र रहेंगे जब तक वह
तभी तक खुश रह पायेंगे
हो गये अगर परतंत्र तो
हमारी तरह वह भी
तनावग्रस्त हो जायेंगे.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
कलरव करते हुये
जीवन का सच्चा आनंद लेते हुये
मस्त गगन में उड़ते हुये
ना कोई चिंता ना कोई बीमारी है उन्हें
स्वतंत्रता जान से भी ज्यादा प्यारी है उन्हें
स्वतंत्र रहेंगे जब तक वह
तभी तक खुश रह पायेंगे
हो गये अगर परतंत्र तो
हमारी तरह वह भी
तनावग्रस्त हो जायेंगे.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
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