रास्ता भटक जाने भर से
मंजिल की तलाश नहीं छोड़ते
कांटों भरा रास्ता हो मगर
बढ़े कदम तो वापस नहीं मोड़ते
हम तो ऐसे राही हैं जो
आसानी से हार नहीं मानेंगे
कितनी भी मुशिकल हो मंजिल
कभी तो ढ़ंूढ़ निकालेंगे
हर हाल में हमको अपनी
आशा करनी पूरी है
रास्ते में हैं कांटे बहुत
मगर तलाश अभी अधूरी है.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
मंजिल की तलाश नहीं छोड़ते
कांटों भरा रास्ता हो मगर
बढ़े कदम तो वापस नहीं मोड़ते
हम तो ऐसे राही हैं जो
आसानी से हार नहीं मानेंगे
कितनी भी मुशिकल हो मंजिल
कभी तो ढ़ंूढ़ निकालेंगे
हर हाल में हमको अपनी
आशा करनी पूरी है
रास्ते में हैं कांटे बहुत
मगर तलाश अभी अधूरी है.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
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