मंगलवार, 9 अगस्त 2011

आंसू खुशी के

कितनी खुशी होती है मन को
मिल जाता है जब कुछ मनचाहा
मन में उठने लगती हैं
खुशियों की हिलोरें
झूम उठता है तन बदन सारा
लगने लगता है सब कुछ प्यारा
मिल जाती हैं जब
खुशियां ढेर सारी
ते कभी कभी
भर आती हैं आंखें भी
आ जाते हैं आंखों में
कुछ बूंद आंसू भी
मगर ये आंसू दुख के नहीं
खुशी के होते हैं
जी हां! मानिये यकीन
आंसू खुशी के भी होते हैं.(कृष्ण धर शर्मा,2003)

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