शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

क्यूं डरें, ज़िन्दगी में क्या होगा


क्यूं डरें, ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा

हंसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आंसू कहीं छुपा होगा

इन दिनों न उम्मीद-सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा

देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा
                                           जावेद अख्तर 

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