गुरुवार, 16 मई 2013

वो फ़िराक और विसाल कहाँ?


वो फ़िराक और विसाल कहाँ?
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ?

थी वो एक शख्स के तसव्वुर से
अब वो रानाई _ए-ख़याल कहाँ?

ऐसा आसां नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ?

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ?
                                          मिर्ज़ा ग़ालिब 

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