गुरुवार, 16 मई 2013

कौन आया रास्ते आइना खाना हो गए


कौन आया रास्ते आइना खाना हो गए
रात रोशन हो गयी दिन भी सुहाने हो गए

ये भी मुमकिन है कि उसने मुझको पहचाना ना हो
अब उसे देखे हुए कितने जमाने हो गए

जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फ़ेंक दो
वे अगर ये कह रहे हों हम पुराने हो गए

मेरी पलकों पर ये आंसू प्यार की तौहीन हैं
उसकी आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए
                                                            बशीर बद्र  

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