गुरुवार, 13 जून 2013

हम तो हैं परदेश में देश में निकला होगा चाँद

हम तो हैं परदेश में देश में निकला होगा चाँद
अपनी रात की छत पे कितना तनहा होगा चाँद।

चाँद बिना हर शब यों बीती जैसे युग बीते
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद।

आ पिया मोरे नैनन में मैं पलक ढाँप तोहे लूँ
ना मैं देखूँ और को, ना तोहे देखन दूँ।

रात ने ऐसा पेंच लगाया टूटी हाथ से डोर
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद।
                                                                   राही मासूम रजा 

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