शनिवार, 16 अगस्त 2014

कब्ज का इलाज


चिकित्सा - 
१) सुबह उठकर दो ग्लास तांबे के बर्तन में रखा पानी पियें । 
                                                   या 
२) रात में अजवाईन (आधी चम्मच) गुड के साथ खायें और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें ।  
                                                  या 
३) त्रिफला चूर्ण एक चम्मच रात में गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लें । 
                                                 या 
४) एरण्ड तेल में २-४ काली छोटी हरड सेककर सुबह खाली पेट खायें ।  
                                                या 
५) दही के ऊपर का तैरता हुआ पानी सुबह पियें । 

पथ्य :- 
१) पपीता या पत्तागोभी की सब्जी का प्रयोग करें ।  
२) अरहर और मूंग की दाल का सेवन करें । 
३) टिण्डा, तोरइ का प्रयोग, दोपहर के भोजन के बाद छाछ पियें । 
४) शाम को चावल और मूंग की सादी खिचड़ी देशी गाय का घी मिलाकर खायें । 
५) गाजर, मूली, टमाटर, ककड़ी, सलाद का प्रयोग अधिक करें । 
६) दूध मे गुलकन्द मिलाकर ले । 
७) भोजन के बाद वज्रासन में 10 मिनट अवश्य बैठे !


जौ, मोटा अनाज, पुराना चावल, मूली, खीरा, पपीता, टिण्डा, तोरर्इ, गर्म पानी पीना, पानी अधिक पीना ।
अपथ्य :-  मल का वेग रोकना, फ्रिज का ठण्डा पानीमसालेदार भोजन, सभी ठण्डी चीजें, केला, चावल, आलू, कंद, सभी बासी और मैदे के सामान, पिठ्ठी के पदार्थ (जैसे - कचौड़ी, बड़े आदि) !

रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम  : 

पानी के सामान्य नियम : 

१) सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं । 
२) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें । 
३) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें । 
४) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें। 

भोजन के सामान्य नियम : 

१) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें । 
२) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से २ बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ । 
३) सुबह दही व फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है । 
४) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में ३ बार से अधिक ना खाएं । 

अन्य आवश्यक नियम : 

१) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है । 
२) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।  
३) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें । 
४) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें । 
५) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें । 
साभार-http://rajivdixit.net


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