अक्सर हम लोग अपनी तरफ से पूरी मेहनत कर रहे होते हैं, लेकिन नतीजे हमेशा अपनी पसंद के हिसाब से मिलते. कभी पैसे कम मिल रहे होते हैं तो कभी पैसों के चक्कर में अपनी पसंद का काम छोड़कर कुछ ऐसा करना पड़ता है जो ज़रा कम पसंद हो. कभी ऐसा भी होता है जब पैसे और पसंद दोनों मिल रहे होते हैं लेकिन घर / परिवार / दोस्तों से दूर रहकर काम करना पड़ता है. ऐसे में सक्सेसफुल होने या कहलाने के बाद भी दिल भीतर से खुश नहीं रहता. ऐसे में शायद हम लोग कुछ छोटी-छोटी चीज़ें भूल रहे होते हैं जिनकी ओर ध्यान देने पर अपने मन को दिलासा दे सकते हैं, खुश रह सकते हैं.
खुश रहने के तरीके हमें बचपन से ही पता होते हैं, सिर्फ बाद में जीवन की आपाधापी में हम इन्हें भूल जाते हैं. अपने बचपन के दिनों को याद कीजिए, थोड़ा सा बच्चों वाली हरकतें करके देखियेः-
1. मुस्कुराइए ज्यादाऔर शिकायतें कम कीजिये. हर समय तुनकने और शिकायतें करते रहनेवाले व्यक्ति को कौन पसंद करेगा? बच्चों से कुछ सीखिए. बच्चे दिन भर हँसते हैं, 400 बार लगभग, और शायद एक दो बार किसी चीज़ की शिकायत करते हैं!
2. नए लोगों और पुराने दोस्तों से मिलते रहिये. अपना फोन उठाइए और देखिए कि आपने अपने किन दोस्तों और रिश्तेदारों से बहुत समय से बात नहीं की है. उन्हें फोन लगाकर सरप्राइज़ दीजिए, आप दोनों ही बात करके बहुत अच्छा फ़ील करेंगे. पड़ोस में कोई नया शिफ्ट किया हो तो खुद से आगे बढ़कर उनका परिचय लीजिए, हो सकता है वे संकोच के कारण आप. नए लोग
3. अपने परिवार को थोड़ा अधिक समय दीजिये. पुराने दिनों में आप स्कूल से घर लोटते ही सबको पूरे दिन के किस्से सुनाने लगते थे न? उसी तरह शाम की चाय के दौरान या डिनर से समय उनसे बातें कीजिए. उनसे पूछिए कि उनका दिन कैसा बीता.
4. जरुरत पड़ने पर दूसरों की यथासंभव मदद कीजिये. किसी को कोई मामूली चीज़ जैसे ‘पेंसिल’ या ‘रबर’ नहीं मिल रही हो तो अपनी देने में कोई नुकसान नहीं है. बहुत संभव है कि वे आपसी छोटी सी मदद को भी याद रखेंगे. वे पेपरवर्क या कंप्यूटर में कहीं अटक रहे हों तो उन्हें ज़रूरी सुझाव दें. यदि आर्थिक रूप से मदद करने का मामला हो तो उतनी ही रकम दें जितने का घाटा आप सहन कर सकते हों, हालांकि यह ज़रूरी नहीं कि सामनेवाला आपका उधार चुकता न ही करे. 5. आशावादी बनिए, सब अच्छा ही होगा ये मान के चलिए. मम्मी के डांटने पर बच्चे शाम को घर लौटने पर पापा से शिकायत करते हैं न! यह मत सोचिए कि जिस चीज को बुरा होना है वह बुरा होकर रहेगी. हमेशा याद रखिए कि सब कुछ खत्म हो जाने पर भी उम्मीद बची रहती है. सब लोग बुरे हैं और दुनिया बद से बदतर होती जा रही है, ऐसा सोचते रहने पर आपको अच्छी चीजें दिखना वाकई कम हो जाएंगी.
6. छुट्टी लीजिये और कहीं घूमने निकल जाइये. हर शहर के पास 50-100 किलोमीटर के दायरे में ऐसा बहुत कुछ होता है जिससे हम अनजान होते हैं. कभी-कभी बच्चों की गर्मियों की छुट्टी या पिकनिक जैसा वक्त बिताइए, जब किसी काम को करने की कोई फिक्र न हो.
7. माफ़ करना सीखिए. किसने आपके साथ किस दिन क्या किया… यह सब याद रखके आप उसका क्या लेंगे? हर क्लास में वह बच्चा और हर ऑफिस में वह व्यक्ति लोगों का पसंदीदा होता है जो कोई बात अपने दिल में नहीं रखता और दूसरों की बातों को नज़रअंदाज़ करके उनसे हिलमिल कर रहता है. यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके करीबी लोगों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे भी इस गुण को अपना सकते हैं.
8. नए लक्ष्य बनाइये, नयी चीज़ें सीखिए. हर रोज़ एक नया लक्ष्य, बच्चों जैसा. यदि लेखक बनना चाहते हों तो एक नोटबुक साख रखकर उसमें अपने विचार नोट करने लगें. यदि फोटोग्राफी करते हों और बढ़िया कैमरा खरीदा हो तो तय कर लें कि रोज़ कम से कम एक फोटो ज़रूर खींचेंगे और नई टेक्नीक सीखेंगे. इसे 365 Project कहते हैं. आपको जो करना पसंद हो, आप जो सीखना चाहते हों, उसके लिए अपना पर्सनल प्रोजेक्ट बनाइए और अपनी प्रगति को शेयर करते रहें, इससे आप एक तरह के पॉज़िटिव प्रेशर में रहेंगे और आलस नहीं करेंगे.
9. कुछ शारीरिक व्यायाम कीजिये. फिटनेस का भूत सवार होने पर लोग एक ही दिन में कई मील दौड़ने जैसा अव्यावहारिक काम करके जल्द ही डिमॉरेलाइज़ हो जाते हैं. यदि बहुत लंबे अरसे से एक्सरसाइज़ न की हो तो शुरुआत जल्दी उठने और पार्क के कुछ राउंड लगाने से करें. धीरे-धीरे अपनी सैर या दौड़-भाग का दायरा और समय बढ़ाते जाएं. ये गतिविधि आपको स्वस्थ भी रखेगी और नींद भी आएगी. यदि कोई शारीरिक तकलीफ़ या बीमारी आपको व्यायाम न करने दे रही हो तो एक ही स्थान पर किए जा सकने वाला योगाभ्यास या ध्यान करें.
10. कोई जानवर पाल लीजिये. कुत्ता पालना सबसे बेहतर रहता है क्योंकि लोग उनसे लगाव का अनुभव करते हैं और वे मालिक को चहलकदमी भी खूब कराते हैं. बच्चों का पालतू से लगाव तो आपने देखा होगा! आजकल शहरों में लोग अकेले होते जा रहे हैं. कोई पेट रखने से लोग इमोशनली संभले रहते हैं.
11. काम से कभी फ़ुर्सत लीजिये. ऑफिस से लौटते ही लैपटॉप या फोन में घुस जाना आपको अखरता नहीं है? बच्चे भी कभी-कभी बस्ता फेंक देते हैं जनाब! कामकाज के भीषण दबाव और टारगेट पूरा करने के तनाव के कारण कितने ही लोग बीमारियों और बुरे हालातों का शिकार हो रहे हैं. ऐसी कई रोजाना थोड़ी पॉजिटिव सलाह देने वाली वेब साईट होती हैं, ज्यादातर अंग्रेजी में हैं, मगर दस बारह लाइन तो पढ़ ही सकते हैं! हिंदी में पढ़ना हो तो हिंदीज़ेन है ही! प्रेरक लेखों की आर्काइव में आपको बहुत अच्छे लेख पढ़ने को मिलेंगे.
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