शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016

तुम मेरे जनाजे में

 

न खुलकर मैं तुम्हें मोहब्बत कर पाया

न खुलकर तुम मेरे जनाजे में रो पाए

                       कृष्णधर शर्मा 20.10.16

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