शनिवार, 23 जून 2018

पुराना पुल, प्रेम और बूढ़े लोग



पुराने पुल के आखिरी छोर पर
शाम के धुंधलके में बैठे हुए 
दूर से आती लैंप पोस्ट की
मद्दिम रोशनी के सहारे
पढ़ना किसी का प्रेम पत्र 
प्रेम करने वालों के लिए
कितना आकर्षक होता है न!
दिनभर की भागा-दौड़ी से दूर
शाम को पुराने पुल पर
टहलते हुए बूढ़े लोग
उन्हें अपना सा लगता है
बूढ़ा और जर्जर हो चुका पुल
लगे भी क्यों न भला!
फुरसत में वह भी हैं और पुल भी
दोनों ही के पास बची हैं
अतीत की सुनहरी यादें
खाली समय काटने के लिए
हाँ मगर कचोटता भी है
कभी-कभी यह खालीपन
नए बन चुके पुल के सामने
मगर कौन याद करना चाहेगा
पुराने पुल या बूढ़े लोगों को!  
        (कृष्ण धर शर्मा, 25.8.2017)

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