शनिवार, 23 जून 2018

खोखली कविताएं



खोखले समाज को और भी खोखला करती
एक खोखले कवि की खोखली कविताएं
थके-हारे मन को और भी निराश करती
खोखले समय की खोखली कविताएं
समय ही बुरा नहीं होता है हमेशा
समय को बुरा बनती हैं अक्सर
बुरे समय की बुरी कविताएं
कब तक दोष दोगे तुम दूसरों को बुरे कवि!
दोषी तो अंततः तुम्हीं साबित किये जाओगे
अगर न चेते तुम और तुम्हारी कविताएं
          (कृष्ण धर शर्मा, 22.7.2017)

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