शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

हाँ मगर!


तुम्हारी भेड़ियों जैसी भूखी नजरें
तुम्हारी गलीज और कामुक भावनाएं
तुम्हारी अश्लील और गंदी टिप्पणियां
जो, राह चलती किसी की
बहन या बेटी को देखकर
उपजते हैं तुम्हारे भीतर
तुम सोचकर भी देखोगे यही सब
अपनी बहन या बेटी के बारे में कभी
सिहर जाओगे तुम, गड जाओगे जमीन में
कहीं गहरे तक शर्म के मारे
तुम्हें लगेगा कि धरती फट जाये अभी
और समा जाओ तुम उसमें सबसे मुंह छुपाकर
हाँ मगर! तुम इंसान होगे तभी न!
अन्यथा शैतानों का तो यह रोज का काम है....
               (कृष्ण धर शर्मा, 12.04.2018)

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