"जिंदगी ख़ूबसूरत है, बस जीना आना चाहिए" *कृष्णधर शर्मा*
छत्तीसगढ़ मित्र का द्वितीय वर्ष का प्रथम अंक जनवरी सन 1901। संपादक- पं. रामराव चिंचोलकर तथा माधवराव सप्रे.
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