बुधवार, 13 अप्रैल 2022

झोपडी ही अजीज है

 

क्यों जलते हैं दूसरों से दुनिया भी अजीब है

मुबारक हो तुमको महल हमे तो झोपडी ही अजीज है

                      कृष्णधर शर्मा 12.04.22

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